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बिरले स्थानों पर हैं शेर सवार मां काली की ऐसी अछ्वुत मूर्ति

जागरण संवाददाता बांदा तीन सौ वर्ष पुराने मां काली देवी मंदिर की विशेषता है कि सिंह पर सव

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 12:04 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 12:04 AM (IST)
बिरले स्थानों पर हैं शेर सवार मां काली की ऐसी अछ्वुत मूर्ति
बिरले स्थानों पर हैं शेर सवार मां काली की ऐसी अछ्वुत मूर्ति

जागरण संवाददाता, बांदा : तीन सौ वर्ष पुराने मां काली देवी मंदिर की विशेषता है कि सिंह पर सवार मां काली की मूर्ति देश में बहुत ही कम स्थानों पर है। पूर्व में यह मंदिर पौराणिक कलाकृतियों के तहत बना था। भक्तों की भीड़ और व्यवस्था को देखते हुए मंदिर को दूसरा आकार देना पड़ा। तीन सौ साल पहले जमीन में यह मूर्ति मिली थी। तभी मंदिर की स्थापना हुई थी। यह मंदिर हजारों भक्तों की अगाध श्रद्धा का केंद्र है।

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शहर के अलीगंज स्थित काली देवी मंदिर के बारे में की मान्यताए हैं। इनमें से एक यह भी है कि शहर के लाले बाबा नामक माली को तीन सौ वर्ष पूर्व देवी ने स्वप्न में कहा कि खेत में मूर्ति दबी है, उसे स्थापित कराओ। रात में स्वप्न आने पर माली ने अपने साथियों के साथ देवी मूर्ति जमीन से निकाली और घोड़े पर लादकर लेकर जा रहा था। अलीगंज में रखकर रात्रि विश्राम करने लगे। सुबह वह उठे और मूर्ति को उठाया तो वह टस से मस नहीं हुई। तब यहीं काली देवी का भव्य मंदिर बना दिया गया। पहले यह मंदिर विभिन्न कलाकृतियों के साथ बनाया गया था। लेकिन दस वर्ष पूर्व इसका विस्तार किया गया। अब नवरात्र में यहां नौ दिन तक भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। कोई भी शुभ कार्य हों, यहीं से शुरुआत होती है। मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि काली देवी सिंह पर सवार हैं। ऐसी अछ्वुत मूर्ति देश के कुछ ही स्थानों पर हैं। भक्तों का मानना है कि यहां कोई भी बीमार व संकट से पीड़ित व्यक्ति सच्चे मन से मत्था टेकता है तो उसकी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। माता के आशीर्वाद से घर में धन व वैभव की कमी नहीं रहती।

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क्या कहते हैं पुजारी :

-मां काली देवी सदैव अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। यहां भक्त आते हैं और मन्नतें मांगते हैं। भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटता है। मुरादें पूरी होने के बाद यहां भक्त भंडारा व अन्य आयोजन करते हैं। -तुलसीदास, पुजारी


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