प्रतीक्षालय तो है लेकिन बैठने नहीं बस देखने के लिए
संवाद सहयोगी, अतर्रा : मंडल मुख्यालय के बाद सर्वाधिक राजस्व देने वाला रेलवे स्टेशन अतर्रा यात्रिय
संवाद सहयोगी, अतर्रा : मंडल मुख्यालय के बाद सर्वाधिक राजस्व देने वाला रेलवे स्टेशन अतर्रा यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं देने में बहुत पीछे है। यहां तकरीबन आठ साल पहले प्रतीक्षालय को बनकर तैयार हो गया लेकिन एक भी यात्री को बैठने नहीं दिया गया। सुबह हो शाम यहां सिर्फ ताला लटकता नजर आता है।
झांसी मंडल से बी श्रेणी के दर्जा प्राप्त रेलवे स्टेशन अतर्रा की कमाई प्रतिमाह तकरीबन 70 लाख रुपये है, लेकिन यात्रियों की सुविधाओं के नाम यहां कुछ नहीं। 2010 में यहां 15 लाख रुपये की लागत से यात्री प्रतीक्षालय बनवाया गया था। दो साल पहले ठेकेदार ने स्टेशन अधीक्षक को इसे हैंडओवर कर दिया लेकिन इसका ताला नहीं खुल सका। इससे यात्री प्लेटफार्म पर बैठकर ही ट्रेन का इंतजार करने के लिए मजबूर हैं।
पूछताछ केंद्र नहीं
हैरानी की बात है कि यात्रियों की संख्या इतनी अधिक होने के बावजूद यहां आज तक पूछताछ केंद्र ही नहीं बन सका है। इससे तमाम यात्रियों की ट्रेन छूट जाती है। कुछ समय पर आ जाते हैं तो दूसरे प्लेटफार्म पर ट्रेन का इंतजार कर रहे होते हैं।
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यात्रियों की जुबानी, उनकी परेशानी
-रेलवे विभाग किराये में लगातार बढ़ोतरी करता जा रहा है, लेकिन सुविधाएं आज भी वही कई दशक पहले वाली ही उपलब्ध हैं।
-मनीष अग्रवाल, कपड़ा व्यवसायी
रेलवे परिसर में विभाग ने प्रतीक्षालय तो बनवाया है। लेकिन वह यात्रियों के लिये हमेशा बंद रहता है। कभी कभार जब कोई अधिकारी या सांसद आते है, तभी उसकी साफ-सफाई के लिए खोल दिया जाता है।
-विजय गुप्ता, व्यापारी
स्टेशन परिसर में पूछताछ सुविधा के लिए सांसद सहित रेलवे के उच्चाधिकारियों को कई बार लिखित अवगत कराने के साथ धरना दिया गया, लेकिन आज तक सुविधा नहीं दी गई है।
-उमाशंकर
रेलवे परिसर में रात को लाइट जाते ही हमेशा अंधेरा हो जाता है। प्लेटफॉर्म नंबर दो में तो अंधकार रहता है। जिससे स्टेशन में बैठकर ट्रेन इंतजार करने में भय लगता है।
-गोपाल गुप्ता, दवा व्यवसायी
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पूछताछ काउंटर के लिए कर्मचारी की मांग कई बार मंडल मुख्यालय से की गई है। लेकिन कर्मचारी न मिलने से यह सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। यात्री प्रतीक्षालय में कुछ दिक्कतें हैं। इसे जल्द दूर कर ली जाएंगी।
-राजेंद्र मिश्रा, स्टेशन अधीक्षक