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मिट्टी के कुल्हड़ों में ही चाय पियेंगे अधिकारी व कर्मचारी

जागरण संवाददाता, बांदा : अधिकारी हो या कर्मचारी अथवा उनके दफ्तरों में आने-जाने वाला कोई

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 06:06 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 06:06 PM (IST)
मिट्टी के कुल्हड़ों में ही चाय पियेंगे अधिकारी व कर्मचारी
मिट्टी के कुल्हड़ों में ही चाय पियेंगे अधिकारी व कर्मचारी

जागरण संवाददाता, बांदा : अधिकारी हो या कर्मचारी अथवा उनके दफ्तरों में आने-जाने वाला कोई आगंतुक अब अब सरकारी कार्यालयों में मिट्टी के कुल्हड़ में ही चाय पीते नजर आएंगे। जिलाधिकारी ने प्लास्टिक के प्लेट व गिलासों पर प्रतिबंध लगाते हुए मिट्टी के कुल्हड़ों का उपयोग करने के निर्देश सभी जिला, तहसील व ब्लाक स्तरीय अफसरों को दिए हैं। उन्होंने कहा है कि इसका सख्ती से अनुपालन कराया जाए।

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बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए शासन ने पालीथिन के साथ प्लास्टिक के कप-प्लेट व गिलासों पर भी रोक लगाई है। लेकिन इनका उपयोग अभी भी धड़ल्ले से हो रहा है। इन पर प्रभावी ढंग से रोक लगाने के लिए जिलाधिकारी ने सख्त तेवर अख्तियार किए हैं। उन्होंने सभी जिला स्तरीय अफसरों को निर्देश दिए हैं कि दफ्तरों में हर हाल में कुल्हड़ों का प्रयोग किया जाए। शासन की मंशा है कि दशक भर से तकरीबन ठप हो चुकी कुम्हारी कला फिर जीवंत हो। कुल्हड़ों का उपयोग होने से जनपद के युवाओं को रोजगार मिलेगा। वहीं कुम्हारी कला से जुड़े परिवारों की आय बढ़ेगी। साथ ही पर्यावरण में भी सुधार होगा। डीएम ने आदेश की प्रति पुलिस अधीक्षक, अपर जिलाधिकारी, नगर मजिस्ट्रेट व प्रभारी अधिकारी संयुक्त कार्यालय को भी भेजा है। कहा है कि कार्यालयों में आगतुंकों एवं अधिकारियों व कर्मचारियों को स्वल्पाहार के समय प्लास्टिक के स्थान पर चाय-पानी के लिए कुल्हड़ उपयोग में लाए जाएं।

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अंतिम सांसे गिन रहा कुल्हड़ का व्यवसाय

बढ़ते प्लास्टिक के चलन से जनपद में कुल्हड़ का व्यवसाय अंतिम सांसे गिन रहा है। दस साल पहले जिले में करीब 300 परिवार कुम्हारी कला से जुड़े थे। लेकिन मौजूदा में महज 36 परिवार ही इस पेशे को जीवंत किए हैं। शादी-ब्याह हो या होटल-दुकानों में सभी जगह प्लास्टिक की प्लेटें, गिलास आदि का इस्तेमाल होता है। यह सस्ता होने की वजह से ज्यादा चलन में है। यदि डीएम के इस फरमान पर अमल हुआ तो कुम्हारी कला के दिन फिर बहुरेंगे। कुम्हारी कला से जुड़े शहर के छंगा ने बताया कि अब सिर्फ दीपावली व कुछ गिने-चुने त्योहारों में ही कुल्हड़ व दीपक की बिक्री होती है।

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-इस नई पहल से जहां पर्यावरण का संरक्षण होगा, वहीं रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। सरकारी दफ्तरों में इसका अनुपालन कराने को कहा गया है। कहीं लापरवाही मिली या आदेश की अनदेखी हुई तो कार्रवाई भी की जाएगी।

हीरालाल, जिलाधिकारी।


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