करवट बदलते कटी रात, दूसरों से रहा अलग-थलग
जागरण संवाददाता बांदा बच्चों के यौन उत्पीड़न के आरोपित निलंबित जेई रामभवन की रात करवट
जागरण संवाददाता, बांदा : बच्चों के यौन उत्पीड़न के आरोपित निलंबित जेई रामभवन की रात करवट बदलते हुए कटी। उसे जेल अस्पताल के आइसोलेशन कक्ष में रखा गया है, जिससे कोई उसके करीब नहीं है। अब तक कई जांचों में उसकी रिपोर्ट कोरोना निगेटिव आ चुकी है। सीबीआइ ने रिमांड अवधि खत्म होने से पहले ही उसे रविवार को जेल में दाखिल कर दिया था।
पचास से ज्यादा बच्चों के यौन उत्पीड़न व विदेशों तक अश्लील सामग्री की खरीद-फरोख्त के आरोपित सिचाई विभाग के निलंबित अवर अभियंता रामभवन को अपर सत्र न्यायाधीश पंचम मो. रिजवान अहमद की अदालत ने सीबीआइ को पांच दिन की रिमांड पर सौंपा था। 26 नवंबर को सीबीआइ टीम उसे लेकर चित्रकूट चली गई और कई बिदुओं पर पूछताछ और जांच की। रिमांड अवधि सोमवार की शाम चार बजे तक थी, जबकि उसे एक दिन पहले ही रविवार को दोपहर करीब तीन बजे जेल में दाखिल कर दिया था। जेल सूत्र बताते हैं कि कारागार में पहुंचने के बाद उसने बेमन से खाना खाया और रातभर करवट बदलता रहा।
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सीबीआइ के फिर आने का लगता रहा कयास
रिमांड अवधि बाकी होने के चलते सोमवार को यह कयास लगाया जाता रहा कि सीबीआइ उसे फिर अपने कब्जे में ले सकती है। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। इधर, आरोपित के करीबियों की सांस यह सोचकर जरूर अटकी रही कि कहीं सीबीआइ उसे लेकर उन तक न आ धमके।
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यह था मामला
बताते चलें कि कर्वी में सिचाई विभाग में तैनात निलंबित जेई रामभवन को सीबीआइ ने गिरफ्तार कर 16 नवंबर को कोर्ट में पेश किया था। जिसके बाद उसे मंडल कारागार भेज दिया गया था। अपर सत्र न्यायाधीश पंचम मो. रिजवान अहमद की अदालत में सीबीआइ ने पांच दिनों की रिमांड मांगी थी। रिमांड पर सीबीआइ अधिवक्ता अशोक सिंह, सहायक शासकीय अधिवक्ता मनोज दीक्षित व बचाव पक्ष के अधिवक्ता देवदत्त त्रिपाठी ने अपनी-अपनी दलीलें दीं। अदालत ने 26 नवंबर की सुबह नौ बजे से 30 नवंबर की शाम चार बजे तक पांच दिनों की रिमांड दी थी। उस हिसाब से सीबीआइ को सोमवार को शाम चार बजे आरोपित को जेल में दाखिल करना था। रिमांड अवधि के एक दिन पहले ही रविवार दोपहर करीब तीन बजे मंडल कारागार प्रशासन को सौंप दिया गया था।
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बोले जिम्मेदार
सीबीआइ कोरोना जांच कराकर लाई थी, जिसमें रिपोर्ट निगेटिव आई है। जेल अस्पताल के अलग कक्ष में रखा गया है। वह बहुत कम बोलता है। बंदी रक्षकों से भी कम बात करता है। बाकी दिनचर्या सामान्य है।
प्रभाकांत पांडेय, डिप्टी जेलर