बकस्वाहा के जंगलों में शैलचित्रों का पूरा किया गया सर्वेक्षण
जागरण संवाददाता बांदा मध्यप्रदेश छतरपुर के बक्स्वाहा जंगल में करीब 25 हजार साल पुराने श
जागरण संवाददाता, बांदा : मध्यप्रदेश छतरपुर के बक्स्वाहा जंगल में करीब 25 हजार साल पुराने शैलचित्र पर दिल्ली व भोपाल की आर्कियोलॉजी विभाग की टीम ने अपना सर्वेक्षण पूरा कर लिया है। इसमें जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार व भोपाल आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट से इसकी रिपोर्ट तलब की है।
बताते चलें कि एनजीटी में बकस्वाहा के जंगलों की कटान पर पीआइएल करने वाले नागरिक उपभोक्ता मंच के डा.पीजी पांडेय ने शैलचित्रों पर मीडिया रिपोर्ट के आधार एक याचिका दाखिल की थी। उच्च न्यायालय के आदेश में एएसआइ ने सर्वे काम पूरा कर लिया है। समाजसेवी आशीष सागर दीक्षित के मुताबिक एएसआइ (आर्कियोलॉजिक सर्वे ऑफ इंडिया) ने सर्वे रिपोर्ट तैयार करके बक्सवाहा में मिलीं तीन बड़ी राक पेंटिग्स के सर्वेक्षण का दावा किया है। उनकी टीम बराबर जंगल स्थित शैलचित्रों को बचाने के प्रयास में लगी है। छतरपुर के सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर ने लगातार गांव में संवाद पर हीरा उत्खनन से प्रभावित करीब सत्रह गांव में जागरूकता प्रसारित करने का काम किया है। अमित की मानें तो बकस्वाहा में मिलीं प्राचीन मानव सभ्यता को दर्शाने वाली रॉक पेंटिग्स तो दुर्लभ हैं ही लेकिन इससे इतर भी बिजावर से किशनगढ़-जटाशंकर मार्ग पर अति दुर्लभ शैलचित्रों की सीरीज हैं। इसको भी संरक्षण किया जाना चाहिए। हीरा उत्खनन से जंगलों के उजाड़ की बनिस्बत मध्यप्रदेश सरकार जंगल को ईको टूरिज्म हब में बदलकर इन आदिम सभ्यता के स्थानों व शैलचित्रों पर स्थाई राजस्व व रहवासियों की पर्यटन से आजीविका सुनिश्चित कर सकती हैं। वहीं जंगलों से प्राप्त वनस्पतियों से ग्रामीण आजीविका का संवर्धन अलग से होगा। हास्यास्पद यह हैं कि याचिकाकर्ता की रिट से पूर्व आर्कियोलॉजी विभाग ने कभी इन स्थानों का ध्यान तक नहीं दिया हैं। आर्कियोलाजी विभाग भोपाल सर्किल का कहना है कि उन्हें मीडिया रिपोर्ट से शैलचित्रों की जानकारी प्राप्त हो सकी हैं।