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लेखपालों की कमी से योजनाएं नहीं चढ़ पा रही परवान

जागरण संवाददाता, बांदा : मंडल मुख्यालय की सदर तहसील में लेखपालों और कानूनगो की कमी से सरक

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 11:37 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 11:37 PM (IST)
लेखपालों की कमी से योजनाएं नहीं चढ़ पा रही परवान
लेखपालों की कमी से योजनाएं नहीं चढ़ पा रही परवान

जागरण संवाददाता, बांदा : मंडल मुख्यालय की सदर तहसील में लेखपालों और कानूनगो की कमी से सरकार की योजनाएं परवान नहीं चढ़ पा रही है। प्रधानमंत्री आवास, पेंशन, आय, जाति व निवास प्रमाणपत्र से लेकर जमीनों की लिखा-पढ़ी तक काम प्रभावित है। तहसील में 89 लेखपालों के सापेक्ष 69 से ही काम चलाया जा रहा है। यहां दो सर्किलों में राजस्व कानूनगो के पद भी खाली हैं। जांच समय से न होने से लाभार्थी योजनाओं से वंचित हो रहे हैं।

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सदर तहसील क्षेत्र में 139 राजस्व गांव हैं। इसका क्षेत्र फतेहपुर की सीमा तक फैला है। इस समय सरकार की शादी अनुदान योजना, विधवा, वृद्धा, विकलांग पेंशन, प्रधानमंत्री आवास, खाद्य सुरक्षा योजनाओं के अलावा सभी विभागों में अलग-अलग योजनाएं चल रही हैं। इनमें पात्रों की जांच लेखपाल से की कराई जाती है। इस समय सदर तहसील में लेखपालों से लेकर कानूनगो तक के पद अरसे से खाली हैं। हालांकि डेढ़ साल पहले सदर में करीब 20 लेखपालों की भर्ती हुई थी, लेकिन इसके बाद भी रिक्त पदों का कोटा पूरा नहीं हो सका। वहीं, कई लेखपाल सेवानिवृत्त होने वाले हैं। वहीं राजस्व कानूनगो के सदर में 9 पद हैं। इनमें से तीन खाली हैं। दो कानूनगो ट्रे¨नग पर गए हैं। लेखपालों की सत्यापन रिपोर्ट को आगे बढ़ाने के लिए कानूनगो की भूमिका अहम होती है। कानूनगो के पद खाली होने से लेखपालों से काम चलाया जा रहा है। साथ ही कई लेखपाल कलेक्ट्रेट में भूमि व दैवी आपदा विभाग में संबंद्ध हैं।

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छात्रवृत्ति फॉर्म में प्रमाणपत्रों की दरकार

इस समय विद्यालयों में छात्रवृत्ति फॉर्म भरवाए जा रहे हैं। ऐसे में आय, जाति, निवास आदि प्रमाण पत्रों की जरूरत है। जनसेवा केंद्रों से माध्यम से 20 दिन का समय प्रमाण पत्र जारी करने के लिए निर्धारित है, एक माह बीतने के बाद भी प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहे हैं। नक्शा, खसरा-खतौनी आदि के लिए चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

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लेखपालों व कानूनगो के पद खाली हैं। इससे शासन-प्रशासन को अवगत कराया गया है। कोशिश यह है कि किसी तरह का काम न अटके।

-अवधेश निगम, तहसीलदार


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