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दहाड़ रहा कुपोषण, डरा-दुबका बचपन

जागरण संवाददता, बांदा : भले ही सरकारें कुपोषण के खिलाफ जंग का ढिंढोरा पीटती रही हो

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Sep 2018 10:43 PM (IST)Updated: Mon, 03 Sep 2018 10:43 PM (IST)
दहाड़ रहा कुपोषण, डरा-दुबका बचपन
दहाड़ रहा कुपोषण, डरा-दुबका बचपन

जागरण संवाददता, बांदा : भले ही सरकारें कुपोषण के खिलाफ जंग का ढिंढोरा पीटती रही हों, पर नतीजा सिफर ही है। आजादी के बाद से आज तक यहां बचपन कुपोषण से संघर्ष कर रहा है। शहर से देहात तक बड़ी संख्या में नौनिहाल इसकी जद में हैं। सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली ऐसी है कि आला अफसर अपने गोद लिए गांवों को भी कुपोषण से मुक्ति नहीं दिला पाए हैं। चिकित्सकों के मुताबिक पहले साल में बच्चे का वचन 10 किलो जबकि अगले चार साल तक हर वर्ष अधिकतम दो-दो किलो वजन बढ़ता चाहिए। इस तरह पांच साल के बच्चे वजन 20 किलो तक पहुंचता है। यदि पहले साल में 10 किलो वजन नहीं बढ़ा तो बाद में इसकी भरपाई नहीं हो पाती। लेकिन यहां गरीब परिवारों के अधिकांश बच्चे इस मानक को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

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कुपोषण की स्थिति

जिले में छह साल तक के कुल 2,53,689 बच्चे पंजीकृत हैं। बीते दिनों करीब दो लाख बच्चों का वजन हुआ था। इसमें करीब 36 हजार बच्चे कुपोषित मिले थे। इनमें करीब दस हजार बच्चे अति कुपोषित हैं। सबसे अधिक तीन हजार बच्चे शहरी क्षेत्र में हैं। ¨तदवारी में 652, महुआ में 987, बड़ोखर खुर्द ब्लाक में 1133, नरैनी में 1023, बबेरू में 886, कमासिन में 556, बिसंडा में 620 और जसपुरा ब्लाक में 959 बच्चे अभी भी अति कुपोषित हैं।

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ये योजनाएं संचालित

आंगनबाड़ी केंद्रों पर नौनिहालों व गर्भवती महिलाओं के लिए मीठा-नमकीन दलिया व लड्डू बांटे जाते हैं। हर महीने तीन किलो प्रति व्यक्ति के हिसाब से पुष्टाहार भी देने की व्यवस्था है। केंद्र पर आने वाले नौनिहालों को हाट कुक्ड भोजन भी दिया जाता है। इस पर करोड़ों रुपये का बजट खर्च होता है। उसके बाद भी हालात सुधर नहीं रहे हैं।

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''जिले की आबादी में 50 फीसद ऐसे लोग हैं जो संतुलित आहार लेते हैं। बाकी 50 फीसद लोगों के भोजन में ताजे फल, सब्जियां, दालें, दुग्ध व अन्य पोषक खाद्य पदार्थ शामिल नहीं होते। इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है। ऐसे में वे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं।-डा.राजेश राजपूत, प्रभारी चिकित्साधिकारी, पत्योरा (बांदा)

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''सितंबर को सुपोषण माह मनाने का फैसला लिया गया है। इसमें चारों सप्ताह के लिए अलग-अलग कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाई गई है। इसमें जागरूकता के लिए प्रभातफेरी, मेला, बचपन दिवस, स्वास्थ्य स्वच्छता, लाडली दिवस आदि मनाए जाएंगे। इनमें सभी विभागों के अफसर शामिल होंगे।-हीरालाल, सीडीओ


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