गरीबों को रुलाएगी बारिश, ढाई हजार आवास अधूरे
मण के चलते लागू लॉकडाउन ने गरीबों के सामने गंभीर समस्या खड़ी कर दी है। पहली जून से प्री-मानसून की दस्तक हो जाती है। ऐसे में जिले में ढाई हजार आवास अधूरे पड़े हैं। छत न पड़ने से इन गरीबों को बारिश रुलाएगी। लॉकडाउन के चलते सामग्री व लेवर न मिलने से फरवरी माह से एक भी आवास पर कार्य नहीं हो सका। शासन से वित्तीय वर्ष 2019-20 में जनपद में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत साढ़े नौ हजार आवासों का लक्ष्य मिला था। जिले के आठ विकास खंडों में
जागरण संवाददाता, बांदा : कोरोना संक्रमण के चलते लागू लॉकडाउन ने गरीबों के सामने गंभीर समस्या खड़ी कर दी है। पहली जून से प्री-मानसून की दस्तक हो जाती है। ऐसे में जिले में ढाई हजार आवास अधूरे पड़े हैं। छत न पड़ने से इन गरीबों को बारिश रुलाएगी। लॉकडाउन के चलते सामग्री व लेवर न मिलने से फरवरी माह से एक भी आवास पर कार्य नहीं हो सका।
शासन से वित्तीय वर्ष 2019-20 में जनपद में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत साढ़े नौ हजार आवासों का लक्ष्य मिला था। जिले के आठ विकास खंडों में 8808 लाभार्थियों को इसके लिए चयनित किया गया था। इन लाभार्थियों में से 6333 लोगों को पहली, दूसरी और तीसरी किश्त ग्राम्य विकास अभिकरण (डीआरडीए) से भेजी गई। लेकिन करीब ढाई हजार गरीबों को तीसरी किश्त फरवरी के अंत में मिली। इससे वह निर्माण कार्य भी शुरू नहीं करा पाए। इन आवासों की दीवारें तो खड़ी हो गई हैं, पर छत पड़ने का कार्य बाकी है। 25 मार्च से जनपद में लॉकडाउन हो गया। इसके बाद कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सभी को घरों में रहने के निर्देश दिए गए। निर्माण सामग्री की दुकानें बंद हो गईं। ऐसे में दो माह से कार्य पूरी तरह से ठप हैं। अब बारिश का मौसम सिर पर है। पहली जून से यहां प्री मानसून बारिश शुरू हो जाती है। अधूरे आवास पड़े होने से गरीबों की धड़कनें तेज हो गई हैं। वह निर्माण सामग्री ईंटा, सीमेंट, बालू के लिए दुकानों पर जाते हैं तो उन्हें मंहगा रेट बता रहे हैं। यदि बारिश के पहले छते पूरी न हुईं तो गरीबों की गृहस्थी बारिश की भेंट चढ़ गई
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गरीबों की जुबानी, उनकी परेशानी :
-प्रधानमंत्री आवास के लिए किश्तें तो तीनों मिल गई हैं, पर अभी तक सामग्री नहीं मिल पा रही है। एक जगह पता किया था तो ईंटा, सीमेंट व लोहा बहुत महंगा दे रहे हैं। ऐसे में आवास अधूरा पड़ा है। बारिश में उनकी फजीहत होगी।-श्याम दुलारी, महुआ -छत डालने के लिए सीमेंट, गिट्टी व लोहा चाहिए। लेकिन दो माह से सभी दुकानें बंद होने से सामग्री नहीं मिली। इसलिए आवास अभी तक अधूरा पड़ा है। पन्नी लगाकर गर्मी से बच रहे हैं, पर बारिश में उनकी गृहस्थी बह जाएगी।-रामकुमारी, बरसड़ा
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बोले अधिकारी :
-लॉकडाउन की वजह से निर्माण सामग्री नहीं मिल पा रही थी। लेवर व कारीगर भी नहीं आ रहे थे। अब काम शुरू हो गया। सामग्री भी मिलने लगी है। 15 दिन में सभी आवास पूरे हो जाएंगे।
-राजेंद्र प्रसाद मिश्रा, परियोजना निदेशक, डीआरडीए