'समाधि खाद' से आर्गेनिक खेती को दे रहे बढ़ावा
जागरण संवाददाता, बांदा : जिले के पश्चिमी छोर पर बसा खानपुर केन नदी का तटवर्ती गांव है। यहा
जागरण संवाददाता, बांदा : जिले के पश्चिमी छोर पर बसा खानपुर केन नदी का तटवर्ती गांव है। यहां के किसान राकेश ¨सह की 'समाधि खाद' काफी शोहरत हासिल कर चुकी है। गांव व आसपास के जो मवेशी दम तोड़ते हैं उनके शवों से यह किसान समाधि खाद बनाते हैं। राकेश का मानना है कि इससे जहां स्वच्छता को बढ़ावा मिलता है। वहीं एक मृत मवेशी से कई बीघे खेती के लिए खाद तैयार हो जाती है जो रसायन मुक्त होती है। क्योंकि उसे देशी पद्धति से बनाया जाता है और खेती के लिए उपयोगी होती है।
राकेश ¨सह पिछले पांच सालों से खेतों को आर्गेनिक बनाने में लगे हैं। इसके लिए उन्होंने समाधि खाद बनाने का फार्मूला सीखा। मवेशियों के शव का जब चमड़ा निकाल लिया जाता है उसके बाद अवशेष राकेश ले जाते हैं। तीन से चार किलो नमक के साथ शव को दफना देते हैं। फिर करीब छह माह बाद उसमें देशी खाद तैयार होती है। एक मवेशी के शव से करीब एक ¨क्वटल खाद तैयार कर लेते हैं। इनके पास दस बीघे फसल योग्य जमीन है। राकेश पूरे दावे के साथ बताते है कि पूरी जमीन को आर्गेनिक बना चुके हैं। वर्ष 2014 से उन्होंने अपना यह मिशन शुरू किया। चार-पांच सालों में काफी ख्याति भी अर्जित कर ली है। इसी साल फरवरी में कानपुर में आर्गेनिक खेती के लिए राकेश को राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कार मिला। वे दूसरे किसानों को भी ये फार्मूला सिखा रहे हैं।
कचरे को 'कंचन' बनाने की तैयारी
बांदा : राकेश ¨सह का मिशन समाधि खाद तक ही सीमित नहीं है। अब वह जो भी कचरा होगा, उसको खेती के लिए खाद के रूप में कंचन बनाएंगे। राकेश का कहना है कि इससे कचरा घटेगा और स्वच्छता को बढ़ावा मिलेगी, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए बेहतर रहेगा।
-नीम की निबोली से बनाते हैं खाद
बांदा : आर्गेनिक खेती को बढ़ावा दे रहे किसान राकेश समाधि खाद के अलावा नीम की निबोली से खाद व कीटनाशक तैयार करते हैं। यह कार्य पिछले कई सालों से कर रहे हैं। इस साल उन्होंने 50 ¨क्वटल निबोली एकत्र की है।