तंबाकू व गुटखा पर रोक से छूटी बुरी आदतें
अतर्रा कस्बे के मुहल्ला दामूगंज निवासी लखन गुप्ता सब्जी बिक्री का फुटकर व्यवसाय कर घर खर्च चलाते हैं। वह पिछले
केस एक : अतर्रा कस्बे के मुहल्ला दामूगंज निवासी लखन गुप्ता सब्जी बिक्री का फुटकर व्यवसाय कर घर खर्च चलाते हैं। वह पिछले 8 वर्ष से गुटखा व पान का सेवन कर रहे थे। लॉकडाउन में गुटखा व तंबाकू आदि की बिक्री में रोक लगी तो इसमें महंगाई भी बढ़ गई। जिसको लेकर उन्होंने अपनी इस बुरी आदत को छोड़ दिया है। केस दो : शहर के बलखंडी नाका मुहल्ला निवासी विनोद गुप्ता पप्पू किराने का व्यवसाय करते हैं। उनका कहना है कि करीब 12 वर्ष तक पान-मसाला व गुटखे का सेवन किया था। लॉक डाउन में तीन रुपये वाला गुटखा 12 रुपये में मिल रहा है। उसे खोजने में भी दिक्कत हो रही थी। इससे यह तय किया है कि अब वह गुटखा व पान मसाला का सेवन नहीं करेंगे।
जागरण संवाददाता बांदा :
कोरोना को लेकर चल रहे लॉक डाउन से जहां लोगों ने कुछ परेशानियां महसूस की हैं वहीं इसका लोगों को सीधा लाभ भी मिला है। तंबाकू, सिगरेट व शराब आदि की बिक्री में रोक लगने से समाज में काफी असर दिखने लगा है। चोरी-छिपे व मंहगे दामों में गुटखा-पान मसाला आदि मिलने से जल्दी लोग खरीद नहीं पा रहे हैं। इससे स्वजनों के बीच ज्यादा रह रहे लोगों ने अब इससे तौबा करना शुरू कर दिया है। लोग अपनी इन पुरानी आदतों को छोड़ रहे हैं। जिन लोगों ने अभी तक गुटखा, शराब व सिगरेट का सेवन बंद किया है। उनका कहना है कि शुरू में कुछ दिन दिक्कत आती है। बाद में सबकुछ सामान्य हो जाता है। बुरी आदत छोड़ना दूसरों के लिए भी प्रेरणा दायक है।
नशा छोड़ने के लिए चला रहे अभियान
भगवती मानव कल्याण संगठन लॉक डाउन में जहां लोगों को मॉस्क व डिटाल साबुन आदि वितरित कर रहा है। वहीं संगठन के अध्यक्ष गुलाब चंद्र कुशवाहा ने बताया कि वह नशा मुक्ति के लिए वैसे तो कई वर्षों से अभियान चला रहे हैं लेकिन इस मौके पर भी उन्होंने 28 गांवों में जाकर लोगों को नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया है। शराब व गुटखा व सिगरेट आदि छोड़ने के लोगों को लाभ भी बताए हैं। हर एक हजार लोगों को प्रेरित करने में कम से कम 15 से 20 प्रतिशत लोग इसका अनुपालन भी करते हैं। अब तक करीब पांच हजार लोगों को वह मांस, शराब व गुटखा आदि छुड़वाने में सफल हुए हैं।