धान में बढ़ रहा गंधी कीट का प्रकोप, सतर्क रहें किसान
इस वर्ष लाल रोग तो नहीं लगा लेकिन कीटों से नुकसान होना शुरू हो गया है। खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान की बालियां इस समय मुहाने पर आ गई हैं। पहले बोई फसल के तो सिकुरा भी निकल आए हैं। बालियां निकलते ही गंधी कीट का प्रकोप बहुत ही तेजी से फैला हुआ है। यह कीट फूल को खाकर यह उत्पादन को कम कर देता है। धान की फसल में शुरुआती समय मे पत्तों में लाल रंग के चक्कते(खैरा रोग) होने
संवाद सहयोगी, अतर्रा : बांदा जनपद का अतर्रा क्षेत्र सर्वाधिक धान उत्पादन के लिए जाना जाता है। इस वर्ष हुई अच्छी बारिश से जहां किसान बेहतर पैदावार की उम्मीद लगाए है। धान के लिए खतरनाक माने जाने वाले लाल रोग ने भी अपने पैर सिकोड़े तो किसानों की उम्मीद और बढ़ गई। अब जब धान की बालियां आने की कगार पर है तो गंधी कीट ने तेजी से पैर पसारने शुरू कर दिए। इससे किसानों के चेहरे पर एक बार फिर निराशा आने लगी है। ये कीट फूल खाकर उत्पादन कम कर देता है।
शुरुआती समय में धान के पत्तों में लाल रंग के चकत्ते (खैरा रोग) होने लगता था। इस वर्ष बारिश के कारण फसल बच गयी थी, लेकिन बालियां निकलने के बाद अब गंधी कीट फसलों को अचानक हमला कर नुकसान पहुंचा रहे हैं।
ऐसे करें बचाव
कृषि फार्म अधीक्षक लेखराज निरंजन बताते हैं कि इसके बचाव के लिए किसानों को पांच किग्रा मैलाथियान प्रति बीघा की दर से छिड़काव करना चाहिए। किसानों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि इसका छिड़काव सुबह शीत होने के दौरान किया जाना चाहिए। इससे दवा पत्तियों पर चिपक जाती है और इसका प्रभाव देर तक बना रहेगा। कीट के साथ सीथ ब्लाइट रोग का प्रभाव भी फसल पर होगा। इसके लिए 300 सौ मिली हेक्साक्लेनाजोल दवा 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। बालियां निकल आने पर बीच-बीच में काली-काली गांठ बनने बनने लगती है। विलंब होने पर यह उत्पादन को 35 से 50 प्रतिशत प्रभावित कर देता है।
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उर्वरक छिड़काव में रहें सावधान :
बालियां आते समय उर्वरक प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। जिस प्रक्षेत्र में बीमारी लगी हो उसमें उर्वरक का छिड़काव नहीं करना चाहिए। इससे बीमारी और तेजी से बढ़ जाती है। बालियां निकलने के बाद भी यूरिया का छिड़काव नहीं करना चाहिए। इससे फूल झड़ने की संभावना अधिक हो जाती है।