सिर्फ दो मरीज ही पा सके आयुष्मान योजना का लाभ
जागरण संवाददाता, बांदा : आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना लागू हुए एक माह से अधिक बी
जागरण संवाददाता, बांदा : आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना लागू हुए एक माह से अधिक बीत चुके हैं लेकिन जिले में सिर्फ दो मरीजों को ही इसका लाभ मिल पाया है। प्रचार-प्रसार व जानकारी के अभाव में गरीब इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे। योजना की जमीनी हकीकत यह है कि लाभार्थियों को प्रक्रिया की जानकारी ही नहीं है।
योजना का शुभारंभ बीती 23 सितंबर को हुआ था। सामाजिक, आर्थिक एवं जातीय जनगणना 2011 के अनुसार चिह्नित गरीब परिवारों को इस योजना का लाभ मिलना है। उन्हें अनुबंधित सरकारी व निजी अस्पतालों में पांच लाख रुपये तक की निश्शुल्क चिकित्सा सुविधा दी जाएगी। योजना के पात्र लाभार्थियों की पहचान करने के बाद उन्हें गोल्डन कार्ड जारी किए जाएंगे। जनपद में इस योजना के तहत सवा लाख से अधिक गरीब परिवारों को चिह्नित किया गया है। इन परिवारों के सदस्यों की संख्या व आयु की कोई सीमा नहीं है। बालिकाओं, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता दी जाएगी।
इस योजना के तहत कैंसर व हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज भी निश्शुल्क होगा। इसके तहत पुरानी बीमारियों के इलाज का प्रावधान भी है। योजना शुरू हुए एक माह से अधिक बीतने के बाद भी अब तक जनपद में ¨तदवारा निवासी उमेश कुमार व बबेरू ग्रामीण के कोदा प्रसाद को ही इसका लाभ मिल पाया है। स्वास्थ्य विभाग की सुस्ती से गरीब परिवार इसका लाभ नहीं ले पा रहे।
नाम शामिल, उसके आगे कुछ पता नहीं
जिला अस्पताल में भर्ती नरैनी क्षेत्र के गाजीपुर निवासी रामकृपाल (40) मजदूरी करता है। उसका कहना है कि योजना में नाम शामिल है लेकिन इसका लाभ कैसे मिलेगा, इसकी जानकारी उसे नहीं है।
जिले में चयनित परिवार
ग्रामीण क्षेत्र 1,12,000
शहरी क्षेत्र 18,000
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योग- 1,30,000
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योजना के तहत चिह्नित अस्पताल
1- राजकीय मेडिकल कालेज बांदा
2- राजकीय जिला चिकित्सालय पुरूष
3- राजकीय जिला चिकित्सालय महिला
4- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कमासिन
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''चिह्नित परिवारों को प्रधानमंत्री की ओर से पत्र जारी होना है जिससे लाभार्थियों को उनका नाम योजना में शामिल होने की जानकारी हो जाएगी। जिला महिला व पुरुष चिकित्सालय में एक-एक आयुष्मान मित्र की तैनाती की गई है। मरीज को इनसे संपर्क कर अपना आधार कार्ड देना होगा। आधार नंबर के जरिए उनका गोल्डन कार्ड जारी किया जाएगा। यह कार्य मरीज को उपचार के दौरान ही करना होगा। - डॉ. संतोष कुमार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी