बुजुर्गों का 'सहारा' नहीं बन पा रहा वृद्धाश्रम
शासन ने बेसहारा व अपनों से ठुकराए बुजुर्गों को आश्रय देने के लिए दो वर्ष पहले वृद्धाश्रम खुलवाए थे। इनमें 150 बुजुर्गों के रहने की क्षमता है। लेकिन दो सालों में यहां का वृद्धाश्रम 56 का आंकड़ा भी नहीं पार कर सका। शासन ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए प्रचार-प्रसार के सहारे बुजुर्गों को आश्रम तक लाने के निर्देश दिए हैं। समाज कल्याण विभाग से जनपद मुख्यालय
जागरण संवाददाता, बांदा : अपनों से ठुकराए गए बुजुर्गो को आसरा देने के लिए खुलवाया गया वृद्धाश्रम अपने मकसद में असफल साबित हो रहा है। निजी संस्था की ओर से संचालित इस आश्रम में 150 बुजुर्गो के रहने की क्षमता है, लेकिन वर्तमान में यहां सिर्फ 56 बुजुर्ग ही रह रहे हैं। इसे देखते हुए समाज कल्याण विभाग के निदेशक ने नाराजगी जाहिर करते हुए वृद्धाश्रम के प्रचार-प्रसार के निर्देश दिए हैं, ताकि बुजुर्गो को इसकी जानकारी हो सके।
समाज कल्याण विभाग की ओर से दो वर्ष पूर्व नरैनी रोड पर वृद्धाश्रम खुलवाया गया था। इसमें 150 बुजुर्गो के रहने के इंतजाम किए। लखनऊ की एक संस्था को इसे संचालित करने की जिम्मेदारी दी गई। यहां बुजुर्गो के लिए निर्धारित मेन्यू के तहत गुणवत्तायुक्त भोजन, वस्त्र, दवा व मनोरंजन सहित पेयजल के लिए आरओ व अन्य व्यवस्थाएं हैं। हालांकि अभी तक सिर्फ 56 बुजुर्गो ने ही इसका लाभ लिया है। आश्रम प्रबंधक श्याम किशोर ने बताया कि आश्रम में रहने के लिए बुजुर्ग आवेदन ही नहीं कर रहे। वहीं समाज कल्याण विभाग के निदेशक रजनीश चंद्र ने आश्रम में बुजुर्गो की संख्या कम होने पर नाराजगी जताई है। साथ ही समाज कल्याण अधिकारी को इसके प्रचार-प्रसार करने निर्देश दिए हैं। उन्होंने सांसद, विधायक, चेयरमैन, जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख, बीडीसी, ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्यों के कार्यक्रमों व बैठकों में भी इसके बारे में जानकारी देने के लिए कहा है, ताकि बुजुर्ग इसका लाभ उठा सकें।
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- निदेशालय स्तर से आश्रम में बुजुर्गो की संख्या बढ़ाने के लिए कहा गया है। शासन के निर्देश पर वृद्धाश्रम और इनमे मिलने वाली सुविधाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाएगा।
-अनिल कुमार कुशवाहा, जिला समाज कल्याण अधिकारी, बांदा