एसी बसों में अब यात्रियों को नहीं मिलेगी पानी की बोतल
हजनपद से चार जनरथ बसों का संचालन किया जा रहा है। सभी एसी बसों में अभी सभी यात्री को पानी की बोतल दी जाती थी। लेकिन परिवहन निगम के अधिकारियों ने प्लास्टिक नष्ट न हो पाने से सफर में बोतल देने में रोक लगा दी है। 15 मार्च के बाद अब यात्रियों को खुद पानी का इंतजाम साथ में करके चलना पड़ेगा। यात्रियों के किराए में पानी का पैसा कम किया जाएगा। - पानी का टिकट में कितना पैसा लिया जाता था जानकारी। - यात्रियों से बातचीत की केस स्टडी दी जाएगी।
जागरण संवाददाता, बांदा : पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए परिवहन निगम ने एसी बसों में पानी की बोतल देने में रोक लगा दी है। 16 मार्च से अब यात्रियों को सफर के दौरान पानी की व्यवस्था खुद करनी होगी। यात्रियों के टिकट में पानी का जुड़ने वाला पैसा अब किराए में कम लिया जाएगा।
जनपद के बांदा डिपो से यात्रियों की सुविधाओं के लिए बांदा से कानपुर व व लखनऊ तक के लिए चार जनरथ एसी बसें चल रही हैं। बसों में अभी तक हर यात्री को एक पानी की बोतल सफर के दौरान दी जाती थी। इससे यात्रियों को पानी खरीदने व साथ लेकर चलने की दिक्कत नहीं रहती थी। यात्रा के समय किराए में ही पानी का पैसा भी शामिल रहता था। लेकिन अब पानी की बोतल 16 मार्च की सुबह से यात्रियों को न देने का निर्णय परिवहन निगम के एमडी डॉ. राजशेखर ने लिया है। पानी की बोतल बंद करने के पीछे तर्क है कि बोतल के रूप में प्लास्टिक नष्ट नहीं हो पाती है। इससे पर्यावरण को खतरा बना है।
------------------------
- एमडी के निर्देश पर पानी की बोतल बस में देने में रोक लगाई जाएगी। इसका प्रभाव पर्यावरण सुरक्षा पर भी पड़ेगा।
- परमानंद एआरएम बांदा
----------------------
किराए में होगी मात्र एक रुपये की कमी
बांदा से कानपुर तक चलने वाली एसी जनरथ बस में प्रतिदिन करीब दौ सौ पानी की बोतलों की खपत होती थी। इस पर रोक से इतना प्लास्टिक प्रतिदिन बचेगा। वहीं यात्रियों के किराया अभी तक 157.50 पैसे प्रति यात्री था। जिसमें अब एक रुपये की कमी की जाएगी।
------------------------
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पहल का सम्मान
- सफर में पानी की बोतल न मिलने से यात्रियों को कुछ दिनों के लिए शुरू में दिक्कत होगी। लेकिन प्लास्टिक के बढ़ते क्रम को रोकने के लिए यह जरूरी है।
- रणविजय सिंह
- एसी बसों में पानी की बोतल को इस्तेमाल करने के बाद लोग बस स्टाप में खुला फेंक देते थे। पानी की बोतल न मिलने से पर्यावरण की सुरक्षा पर काफी प्रभाव पड़ेगा।
- जितेंद्र कुमार