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चूने का दौर नहीं अब ग्राहकों को चाहिए प्लास्टिक पेंट

दीपवाली त्योहार में घरों को चमकाने और सबसे बेहतर दिखाने की होड़ मची हुई है। इन दिनों पेंट की बाजार में नेरोलेक व प्लास्टिक पेंट के साथ वाल पेपर की धूम है। कलई पोतने की परंपरा अब पीछे छूट चुकी है। भले ही मध्यम व निम्न तबके का परिवार इन्हीं नए वैरायटी के पेंट को पसंद कर रहा है। इसकी पीछे वजह भी है कई साल तक उन्हें राहत रहती है। बाजार में व्यापारियों ने अलग-अलग रेंज के पेंट सजा रखे हैं। इनकी धड़ल्ले से बिक्री हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 10:28 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 06:17 AM (IST)
चूने का दौर नहीं अब ग्राहकों को चाहिए प्लास्टिक पेंट
चूने का दौर नहीं अब ग्राहकों को चाहिए प्लास्टिक पेंट

जागरण संवाददाता, बांदा : सुंदर घर हर किसी का सपना होता है, लेकिन अगर मौका दीपावली का हो तो घर-घर लोग साफ-सफाई करने के साथ ही दीवालों का रंग-रोगन करने में लग जाते है। ये सिलसिला एक माह पूर्व से ही शुरू हो जाता है। गरीब हो या अमीर सभी की चाहत भवन के सुंदर दिखने की होती है। इसको लेकर व्यापारी भी पहले से ही तैयारियों में जुट जाता है। इस बार भी पेंट का बाजार तैयार है और ग्राहकों की भी भरमार है।

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समय के साथ बदल रहा ट्रेड

दीपावली पर घर का रंग-रोगन कराना कोई नई बात नहीं मगर समय के साथ लोगों में मांग भी आधुनिक पेंट की ओर बढ़ती जा रही है। जहां पहले चूने और समोसम से पुताई का क्रेज था वहीं अब ग्राहक प्लास्टिक पेंट की ओर ज्यादा जोर दे रहा है। इसके साथ ही भवन की और सुंदरता के लिए वॉल पुट्टी की भी मांग बढ़ी है।

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पिछले वर्ष से अधिक कारोबार का अनुमान

व्यापारियों की माने तो पिछले वर्ष करीब एक करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। इस बार ग्राहकों की संख्या को देखते हुए ये आंकड़ा डेढ़ करोड़ तक पहुंचने की संभावना है।

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यहां हैं पेंट की प्रमुख दुकानें

चौक बाजार, महेश्वरी देवी मंदिर, न्यू मार्केट सहित कस्बों की दुकानों में पेंट व कलर की दुकानें गुलजार हैं।

ज्यादा हैं दाम

बाजार में फिलहाल विभिन्न कंपनियों के पेंट 120 से लेकर 500 रुपये प्रति किलो की दर उपलब्ध हैं।

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बोले व्यवसायी :

-दीपावली पर अब घर सजाने का ट्रेड बदल रहा है। पहले ज्यादातर लोग कलई का इस्तेमाल पुताई में करते रहे हैं। लेकिन अब पेंट और वाल पेपर की डिमांड बढ़ रही है। -अरविद कुमार, पेंट व्यवसायी -पेंट टिकाऊ व फैशन के हिसाब से बेहतर रहता है। इसमें एक वर्ष पैसा खर्च करने पर तीन सालों तक चमक रहती है। इसलिए ग्राहक यही ज्यादा पसंद कर रहे हैं। -दिनेश ओमर, पेंट व कलर व्यवसायी

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मजदूरी भी बढ़ी

दीपावली पर जहां लोगों में घर सजाने व चमकाने की होड़ है, वहीं मजदूरी भी आसमान छू रही है। दो सौ से तीन से के बीच दिहाड़ी में पुताई व पेंट करने वाले मजदूर चार सौ रुपये में भाव नहीं दे रहे हैं। ऐसे में उन्हें पुतवाने के लिए पहले से मन्नतें करने पड़ रही है।

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चूना-कलई की दुकानों पर सन्नाटा

पीली कोठी स्थित कलई व्यवसायी रामनिहोर बताते हैं कि कलई 15 से 20 और चूना 20 से 25 रुपये किलो तक है। चूने की चमक दीवारों की खूबसूरती बढ़ाती है। लेकिन इस वर्ष कारोबार कम हो रहा है।


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