रिपोर्ट देने में लापरवाही, कर्मचारियों का रुकेगा वेतन
जिले में मनरेगा से किए जा रहे कार्यों की शासन स्तर पर हर रोज मॉनीटरिग हो रही है। लेकिन बीडीओ स्तर पर रिपोर्ट भेजने में लापरवाही हो रही है। उपायुक्त ने लापरवाही पर बीडीओ व मनरेगा कर्मचारियों का वेतन रोकने की चेतावनी दी है। जनपद में मनरेगा के तहत 471 में से 460 ग्राम पंचायतों में कार्य कराए जा रहे हैं। इनमें अलग-अलग कार्यों में 49720 जॉबकार्ड धारक लगाए गए हैं। जबकि जनपद में एक लाख एक्टिव जाब
जागरण संवाददाता, बांदा : जिले में मनरेगा से किए जा रहे कार्यों की शासन स्तर पर हर रोज मॉनीटरिग हो रही है। लेकिन बीडीओ स्तर पर रिपोर्ट भेजने में लापरवाही हो रही है। उपायुक्त ने लापरवाही पर बीडीओ व मनरेगा कर्मचारियों का वेतन रोकने की चेतावनी दी है।
जनपद में मनरेगा के तहत 471 में से 460 ग्राम पंचायतों में कार्य कराए जा रहे हैं। इनमें अलग-अलग कार्यों में 49720 जॉबकार्ड धारक लगाए गए हैं। जबकि जनपद में एक लाख एक्टिव जाबकार्ड धारक हैं। उपायुक्त मनरेगा वेद प्रकाश मौर्य ने कहा कि मनरेगा शासन की महत्वाकांक्षी योजना है। इसमें मांग करने वाले सभी श्रमिकों को कार्य दिया जाना है। इसकी निदेशालय स्तर पर हर रोज मॉनीटरिग की जा रही है। जिले से प्रतिदिन मनरेगा में लगे श्रमिकों व कार्यों के प्रगति की रिपोर्ट मांगी जा रही है। लेकिन खंड विकास अधिकारी रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं। इससे वह शासन तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। दो जून को महज बबेरू व महुआ से ही मनरेगा की प्रगति रिपोर्ट मिली है। अन्य छह विकास खंडों से बीडीओ ने रिपोर्ट नहीं भेजी है। जबकि सभी को आगाह किया गया है कि हर रोज सुबह 11 बजे तक रिपोर्ट भेजनी है। रिपोर्ट न भेजना आदेशों की अह्वेलना है। उन्होंने कहा कि महुआ ब्लाक से मिली रिपोर्ट भी निर्धारित प्रारूप पर नहीं दी गई। उपायुक्त ने कहा है कि बीडीओ तत्काल रिपोर्ट दें। जानकारी देने में लापरवाही करने वाले मनरेगा के लेखा सहायक व लेखाकार का वेतन रोकने की कार्रवाई की जाए।
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पंचायत मित्र की मेहनत से जले चूल्हे
बांदा : बड़ोखर खुर्द ब्लॉक की ग्राम पंचायत कुरौली में पंचायत मित्र आलोक द्विवेदी की दरियादिली से श्रमिकों के चूल्हे जल रहे हैं। वह बिना किसी भेदभाव प्रत्येक घर से प्रवासी व स्थानीय मजदूरों के जॉब कार्ड बनाकर उन्हें कार्य दिला रहे हैं। गांव में करीब डेढ़ सौ मनरेगा श्रमिक चकरोड, नाला व सड़क में कार्य कर रहे हैं। इससे मजदूरों का भरण-पोषण भी हो रहा है और गांव के विकास का पहिया दौड़ रहा है।