फास्ट एड बॉक्स से दवाएं गायब, नहीं मिलता उपचार
तस्वीर एक डिपो में खड़ी बांदा से बबेरू जाने वाली बस संख्या यूपी 90 बी . 9590 यात्री अपनी सीट में बैठ रहे थे। लगभग आधी बस भर चुकी थी। बस में लगी फास्ट एड बाक्स में दवाओं की जगह बीड़ी का बंडल रखा था। उपचार किट के नाम पर एक अदद टैबलेट तक नहीं थी। तस्वीर दो परिसर में खड़ी कानपुर बयां लखनऊ
तस्वीर एक : डिपो में खड़ी बांदा से बबेरू जाने वाली बस संख्या यूपी 90 बी . 9590 यात्री अपनी सीट में बैठ रहे थे। लगभग आधी बस भर चुकी थी। बस में लगी फास्ट एड बाक्स में दवाओं की जगह बीड़ी का बंडल रखा था। उपचार किट के नाम पर एक अदद टैबलेट तक नहीं थी। तस्वीर दो : परिसर में खड़ी कानपुर बाया लखनऊ जाने वाली बस यूपी 90 टी.8264 में फास्ट एड बाक्स खाली था। उसमें दवा-गोली की जगह धूल भरी थी। देखने से लग रहा था कि वह काफी समय से खोलकर तक नहीं देखा गया है।
------------ जागरण संवाददाता, बांदा : परिवहन विभाग घटनाओं के बाद भी सीख नहीं लेता है। शासन के कड़े निर्देश है कि हर बस में यात्रियों की आकस्मिक उपचार सुविधा के लिए एक फास्ट एड बॉक्स अनिवार्य रूप से लगा होना चाहिए। जिसकी चाबी परिचालक के पास हमेशा रहेगी। बाक्स में आवश्यकता अनुसार दर्द निवारक दवाओं के अलावा चोट लगने का ट्यूब व पट्टी आदि होनी जरूरी है। लेकिन परिवहन विभाग में इन निर्देशों की अनदेखी की जा रहा है। बांदा जनपद के डिपो से संचालित 125 बसों में ज्यादातर में चिकित्सीय बॉक्स खाली हैं। उनमें रखी उपचार सामाग्री नदारत है। बॉक्स भर केवल शोपीस के रूप में लगे हैं। रोडवेज बसों की ज्यादातर बसों की उपचार किट की यही स्थिति है। किसी यात्री या चालक-परिचालक को यदि यात्रा करते समय अचानक कोई इमरजेंसी पड़ जाए तो उसको अस्पताल आने तक दर्द सहन करना पड़ेगा। उसकी जान को भी खतरा हो सकता है। यह स्थिति नजदीक की बसों में ही नहीं, बल्कि लंबी दूरी तय करने वाली बसों में रहती है। उपचार संबंधी दवाओं के बारे में चालक ने बताया कि वह बाक्स की उपचार सामाग्री मांगते हैं तो उनकी बात यह कहकर टाल दी जाती है कि बाद में आकर ले लेना। यही वजह है कि बाक्स का सामान खाली रहता है।
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यात्रियों की जुबानी
यात्रियों के उपचार की सुविधा के लिए बस में लगे चिकित्सीय बॉक्स में दवाएं होनी चाहिए। कई बार उन्होंने यात्रा के समय यात्रियों को दवा के लिए परेशान होते देखा है।
-सुरेश शर्मा ग्राम तेंदुरा
विभागीय लापरवाही के चलते ज्यादातर बसों के चिकित्सीय बॉक्स खाली रहते हैं। मरहम पट्टी तो दूर दर्द तक की कोई दवा नहीं होती है।
-नरेश कुमार, स्वराज कालोनी --------------------
बसों में लगे बॉक्स से सामान चोरी हो जाता है। इससे अब परिचालक के पास अलग से उपचार सामाग्री मौजूद रहती है। यह परिचालक की भी जिम्मेदारी है कि वह साथ में उपचार सामाग्री लेकर चले। मामले की जांच कराई जाएगी।
-परमानंद, एआरएम बांदा डिपो