लॉकडाउन ही सही, पीआरडी जवानों के घरों में जल रहे चूल्हे
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के खिलाफ पूरा देश जंग लड़ रहा है। 21 दिन के लॉकडाउन में सभी लोग घरों में रहकर कोरोना से बचने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं प्रांतीय रक्षक दल जवान दूसरों को कोरोना से बचाने को खुद की जान दांव पर लगा रहे हैं। लॉकडाउन में ही सही उन्हें भरपूर ड्यूटी मिल रही है और उनके घरों में चूल्हे जल रहे हैं।
जागरण संवाददाता, बांदा : कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के खिलाफ पूरा देश जंग लड़ रहा है। 21 दिन के लॉकडाउन में सभी लोग घरों में रहकर कोरोना से बचने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं प्रांतीय रक्षक दल जवान दूसरों को कोरोना से बचाने को खुद की जान दांव पर लगा रहे हैं। लॉकडाउन में ही सही उन्हें भरपूर ड्यूटी मिल रही है और उनके घरों में चूल्हे जल रहे हैं। 275 की दिहाड़ी में वह पुलिस के हमराह बनकर फंसे लोगों के मददगार बन रहे हैं।
युवा कल्याण विभाग में जिले में करीब 1000 प्रशिक्षित जवान हैं। इनमें से करीब साढ़े सात सौ जवान सक्रिय व बिल्कुल फिट हैं। शांति सुरक्षा की ड्यूटी में ये अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। सामान्य दिनों में इनके लिए ड्यूटी का टोटा रहता है। नवरात्र मेला व किसी बड़े आयोजनों में ही ड्यूटी मिलती है। पिछले कई वर्षों से पीआरडी जवानों को बोर्ड परीक्षा में भी ड्यूटी नहीं मिली। हर माह करीब डेढ़ सौ जवानों के ड्यूटी का औसत रहता है। युवा कल्याण विभाग जवानों की तीन-तीन माह की ड्यूटी लगाते हैं। एक जवान को वर्ष में सिर्फ तीन माह ही ड्यूटी मिल पाती है। तीन माह के मिले भत्ते करीब 25 हजार रुपये में परिवार का भरण-पोषण करना पड़ता है। इधर, कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के बाद देश में सतर्कता बरती जा रही है। 14 अप्रैल तक के लिए लॉकडाउन किया गया है। लॉकडाउन में पीआरडी जवान अपनी ड्यूटी पूरी सिद्दत से निभा रहे हैं। करीब 300 जवान ट्रैफिक व थानों में ड्यूटी में लगे हैं। यह हर चौराहा, तिराहे व सार्वजनिक स्थलों पर पुलिस के साथ तमाम राहगीरों की मदद कर रहे हैं।
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दो माह से नहीं मिला भत्ता
पीआरडी जवान लॉकडाउन में जान की बाजी लगाकर अपना फर्ज तो पूरा कर रहे हैं, पर इनका भत्ता दो माह से नहीं मिला है। शासन से बजट आने पर ही इनकी दिहाड़ी दी जाती है। महुआ ब्लाक के पीआरडी कमांडर प्रेमी सिंह खेंगर का कहना है कि बजट आ गया है, अप्रैल के पहले सप्ताह में इनको पूरा पैसा मिल जाएगा।
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ड्यूटी को देते हैं चढ़ावा
महुआ, नरैनी व बिसंडा ब्लाक के कई पीआरडी जवान नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि अधिकारियों ने 89 दिन की ड्यूटी बिना शासनादेश 60 दिन की करती है। ड्यूटी लगाने के नाम पर डेढ़ से दो हजार रुपये कमीशन देना पड़ता है। क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी रवींद्र कुमार पटेरिया ने बताया कि ज्यादा से ज्यादा जवानों को ड्यूटी मिले, इसलिए दिन कम किए गए हैं।