खंडहर में तब्दील हो रहा करोड़ों का कांशीराम उपवन
शहरवासियों के लिए दशक भर पहले करोड़ों की लागत से करीब 100 बीघा क्षेत्रफल में बनाया गया कांशीराम उपवन उपेक्षा का शिकार है। भ्रष्टाचार की जद में आकर अपनी वास्तविक पहचान खो रहा है। शहरवासियों के लिए यह पार्क सिर्फ जुमला साबित हुआ। लाखों का बजट मिलने के बाद भी यह पार्क धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो रहा है।
गौरव तिवारी, जागरण संवाददाता, बांदा: शहरवासियों के लिए दशक भर पहले करोड़ों की लागत से करीब 100 बीघा क्षेत्रफल में बनाया गया कांशीराम उपवन उपेक्षा का शिकार है। भ्रष्टाचार की जद में आकर अपनी वास्तविक पहचान खो रहा है। शहरवासियों के लिए यह पार्क सिर्फ जुमला साबित हुआ। लाखों का बजट मिलने के बाद भी यह पार्क धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो रहा है।
बसपा शासन काल में शहरवासियों के लिए नरैनी रोड में करीब दस करोड़ रुपये की लागत से कांशीराम स्मृति उपवन का निर्माण कराया गया है। बसपा सरकार की यह सौगात भाजपा शासन काल में बदहाली का दंश झेल रहा हैं। पार्क में 12 फिट ऊंची कांस्य की कांशीराम की मूर्ति स्थापित है। इसकी देखरेख न होने से यह भी दुर्दशा का शिकार हो गई है। पार्क में लखनऊ से मंगवा कर बच्चों के मनोरंजन के लिए एक से बढ़कर एक झूले लगाए गए थे। लेकिन वह भी अराजकत्वों द्वारा चोरी कर लिए गए। 100 बीघे में बने इस पार्क में चारों तरफ झाड़ी-झखाड़ उगी हुई है। पार्क में हर तरफ अव्यवस्थाओं का अंबार है। नगर पालिका की ओर से पार्क में शौचालय टैंकरों को पार्क किया गया। यहां सुबह से शाम तक अराजकतत्वों का जमावड़ा रहता है।
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कई वर्षों से बंद पड़ा पार्क :
कांशीराम स्मृति उपवन आम जनता के लिए बनवाया गया था, लेकिन कई वर्ष बीत गए न इसका निर्माण पूरा हो सका और न ही जनता के लिए यह खोला गया। उनके आने-जाने पर आज भी रोक लगी हुई है। पार्क में आमजनता से संबंधित ऐसी कोई व्यवस्था ही नहीं है, जिससे वह यहां बच्चों व परिवार के साथ कुछ समय बिता सकें।
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महिला पर सुरक्षा का दायित्व
पार्क की सुरक्षा का दायित्व एक महिला चौकीदार पर है। 100 बीघे पार्क में वह देखभाल करने में अक्षम है। वह कभी कभार ही यहां आती है। पीछे चहारदीवारी का हिस्सा खुला होने से दोपहर के सन्नाटे में ज्यादातर युगल या फिर शराबी देखे जा सकते हैं। इसी भय से चौकीदार महिला भी किनारा किए रहती है।
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बोले शहरवासी :
-आम जनता के लिए बनवाया गया पार्क वर्तमान समय में ताला लटका हुआ है, यह पार्क पूरी तरह से प्रशासन की लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। न तो यहां पर घूमने की कोई जगह बची है, न ही इस पार्क में कोई आता है।-नंद किशोर लखेरा
-पार्क बाहर से देखने में भव्य लगता है, लेकिन अंदर सिर्फ बदहाली है। न तो यहां पर किसी भी प्रकार की व्यवस्था है, न ही यहां पर कोई जाता है। पालिका के रवैए से लगता है इसके अच्छे दिन कभी नहीं आएंगे।-संतोष कुमार
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पार्क की स्थिति पर एक नजर :
पार्क का नाम : कांशीराम उपवन
नोडल : नगर पालिका
लागत मूल्य : 10 करोड़ रुपये
निर्माण वर्ष : 2006
क्षेत्रफल : 81485 वर्ग मीटर
सुविधाएं : बच्चों व दिव्यांगों के रैंप, बच्चों के झूले व खेल कूद स्थल, बैठने को बेंच, पाथ-वे लाइट्स व एलईडी हाईमास्ट, वाटर कूलर, योगा स्थल।
अव्यवस्थाएं- बच्चों व दिव्यांगों के रैंप गायब, बच्चों के झूले चोरी, बैठने हेतु बेंच नहीं है, पाथ-वे लाइट्स व एलईडी हाईमास्ट खराब, वाटर कूलर नहीं लगा है, योगा स्थल का निर्माण ही नहीं हुआ।
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-पार्क के अधूरे कार्य को जल्द ही पूरा कराया जाएगा। इसके सुंदरीकरण की योजना बन चुकी है। शहरवासियों के लिए यह पार्क व्यवस्थाएं पूरी होने पर खोल दिए जाएंगे।-संतोष कुमार मिश्रा, अधिशाषी अधिकारी, नगर पालिका, बांदा