वन चेतना केंद्र बना शराबी व जुआड़ियों का अड्डा
जागरण संवाददाता, बांदा : शहर के बा¨शदों को खुली हवा में सांस लेने के लिए करोड़ों रुपये
जागरण संवाददाता, बांदा : शहर के बा¨शदों को खुली हवा में सांस लेने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर बनवाया गया वन चेतना केंद्र अब शराबी व जुआरियों का अड्डा बन गया है। यहां दिन हो या रात अराजकतत्वों का जमावड़ा रहता है। फव्वारे, झरने और झूले बदहाल पड़े हैं। मनोरंजन के लिए बनाए गए हाथी में बच्चों की जगह फड़ लगती है। जिम्मेदार वन विभाग के अधिकारी लापरवाह है।
मंडल मुख्यालय में वर्ष 2006 में अतर्रा व नरैनी रोड के बीच नवाब टैंक के बगल से वन चेतना केंद्र (पार्क) बनवाया गया। इसकी भव्यता पर सरकार ने करीब डेढ़ करोड़ रुपये खर्च किए। पार्क में फव्वारा, झरना, यहां आने वाले परिवारों के बैठने के लिए कुर्सियां, बच्चों को झूलने के लिए हाथी, व कई अन्य झूले लगाए गए। बागवानी तैयार की गई। निर्माण के तीन साल तक तो शहरवासियों को खुली हवा में बैठने के लिए बेहतर स्थान मिला। शाम होते ही यहां शहर के लोग फुर्शत के छड़ बिताते थे। पार्क की सुंदरता के चर्चे दूर-दराज तक थे। पार्क की देखरेख के लिए यहां चौकीदार व कर्मचारी भी लगाए गए थे। लेकिन बाद में वन विभाग द्वारा इसकी अनदेखी कर दी गई। चौकीदार व कर्मी ने कमाई के लिए पार्क का उपयोग अराजकतत्वों के लिए शुरू कर दिया। यहां दिन में जुएं की फड़े लगती हैं। शाम को शराबियों का जमावड़ा लगता है। इसके एवज में उन्हें अच्छा खासा कमीशन मिलता है। यह अधिकारियों तक पहुंचता है। शराबियों व जुआरियों में आए दिन मारपीट व विवाद की स्थिति आती है। अराजकतत्व झूले का सामान खोल ले गए। सीटें टूट-फूट गईं। पूरे पार्क में गंदगी का साम्राज्य है। जगह-जगह शराब की बोतलें, जूठे दोने-पत्तल और पालिथिन बिखरी पड़ी हैं।
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शहरवासियों की जुबानी
-शहर का यह सबसे बेहतर पार्क था। लेकिन इस समय यहां परिवार के साथ जाने लायक नहीं है। महिलाओं के साथ शराबी छींटाकशी करते हैं।-सत्यदेव ¨सह
-पहले डीएम महेंद्र बहादुर ¨सह थे तो पार्क की सफाई रहती थी। लेकिन उनके जाने के बाद वन विभाग के अधिकारी झांकने तक नहीं आए।-लक्ष्मण वर्मा
-शहर में खुली हवा में बैठकर सांस लेने के लिए कोई स्थान नहीं है। इस पार्क की बदहाली दूर होनी चाहिए। सुरक्षा कर्मी लगाए जो चाहिए।-कोमल ¨सह
-नाम है वन चेतना केंद्र का। यहां तो सब कबाड़ है। झरना व झूले बेकार पड़े हैं। सिर्फ गलत काम करने वाले ही यहां जाते हैं।-मोहन गुप्ता
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-पार्क के मेंटीनेंस के लिए कोई बजट नहीं है। सुरक्षा के लिए कर्मचारी लगाए गए हैं। यदि ऐसा हो तो कार्रवाई की जाएगी।-एके जायसवाल, प्रभारी डीएफओ
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पार्क का नाम : वन चेतना केंद्र
नोडल प्रभार : वन विभाग को
निर्माण वर्ष : 2006
लागत : 1 करोड़ 40 लाख
वार्षिक मेंटीनेंस : 50 हजार
क्षेत्रफल : 2.3 हेक्टेयर
सुविधाएं : झूले, फौव्वारे, स्वी¨मग पूल, बैठने को सीटें
अव्यवस्थाएं : झूले गायब,स्वी¨मग पूल व फौव्वारा ध्वस्त
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