लॉकडाउन में हाईटेक हो रहे किसान, एप से ले रहे ज्ञान
लॉकडाउन में छात्र-छात्राएं ही डिजिटल नहीं हुए बल्कि किसान भी इस ओर कदम बना रहे हैं। ऑनलाइन क्लासेज की तर्ज पर किसान भी ऑनलाइन गोष्ठियों में खेती की तकनीक सीख रहे हैं। कृषि विश्वविद्यालय ने अब तक जिले में 400 से ज्यादा किसानों को गूगल मीट एप से जोड़ा है। इस एप के जरिए कृषि विशेषज्ञ किसानों को मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए मृदा नमूने लेने की तरकीब सिखा रहे हैं। साथ ही खरीफ में बीजों के चयन व उपचार को लेकर भी उन्हें ऑनलाइन टिप्स मिल रहे हैं।
जागरण संवाददाता, बांदा : लॉकडाउन में छात्र-छात्राएं ही डिजिटल नहीं हुए, बल्कि किसान भी इस ओर कदम बढ़ा रहे हैं। ऑनलाइन क्लासेज की तर्ज पर किसान अब ऑनलाइन गोष्ठियों का हिस्सा बन रहे हैं। जहां से उन्हें उन्नति खेती की बहुत से जानकारी मिल रही है। कृषि विश्वविद्यालय ने अब तक जिले में 400 से ज्यादा किसानों को गूगल मीट एप से जोड़ा है। इस एप के जरिए कृषि विशेषज्ञ किसानों को मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए मृदा नमूने लेने की तरकीब सिखा रहे हैं। साथ ही खरीफ में बीजों के चयन व उपचार को लेकर भी उन्हें ऑनलाइन टिप्स मिल रहे हैं।
कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में संचालित कृषि विज्ञान केंद्र गूगल मीट एप के जरिए किसानों को ऑनलाइन जोड़ रहा है। अब किसानों को जिला मुख्यालय गोष्ठियों में आकर दौड़भाग करने की जरूरत नहीं हैं। वह घर बैठे ही मोबाइल एप से जुड़कर खेती की नवीन तकनीक सीख रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र डॉ.श्याम सिंह सहित उनकी पांच वैज्ञानिकों की टीम किसानों के साथ एप पर नियमित गोष्ठियां कर रहा है। इसमें अब तक जनपद के 400 से ज्यादा किसान जुड़ चुके हैं। इन किसानों को इस समय बेहतर उपज लेने के लिए टिप्स दिए जा रहे हैं। खेतों में मिट्टी की जांच के लिए मृदा के नमूने लेने के तौर-तरीके बताए जा रहे हैं। इसके अलावा खरीफ फसलों में बुवाई को लेकर तैयारियां और बीज के की भी कृषि वैज्ञानिक सलाह दे रहे हैं।
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फसल उत्पादकता विषय पर प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से स्वास्थ्य और फसल उत्पादकता विषय पर ऑनलाइन कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। गूगल मीट एप के माध्यम से किसानों को जानकारियां दी गईं। अध्यक्ष डॉ.श्याम सिंह ने सभी जुड़े कृषकों को मृदा गठन एवं मृदा स्वास्थ के बारे में विस्तार जानकारी दी। फसलोत्पादन में मृदा जांच के महत्व पर प्रकाश डाला। मृदा स्वास्थ्य की जांच के लिये विभिन्न तरीके बताए। कहा कि किसान अपने-अपने खेत की मिट्टी का नमूना बतायी गयी विधि से लें। उसकी जांच कराकर मृदा स्वास्थ्य कार्ड जरूर लें। इसमें 10 कृषकों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में डॉ. सुभाषचंद्र सिंह, डॉ. मंजुल पांडेय, डॉ. दीक्षा पटेल ने ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया।