Move to Jagran APP

समानता नवोदय की, सुविधाएं कुछ भी नहीं

जागरण संवाददाता, बांदा : जिले में कहने को दो राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय संचालित हैं। जिसकी

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 05:55 PM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 05:55 PM (IST)
समानता नवोदय की, सुविधाएं कुछ भी नहीं
समानता नवोदय की, सुविधाएं कुछ भी नहीं

जागरण संवाददाता, बांदा : जिले में कहने को दो राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय संचालित हैं। जिसकी तुलना भले ही नवोदय विद्यालय की तर्ज पर की जाती हो और शायद इन्हें जल्द ही नवोदय का दर्जा भी मिल सके। लेकिन सुविधाओं के नाम पर यहां बच्चों को कुछ नहीं मिलता। न बेहतर शिक्षा व्यवस्था, न भोजन और न ही रहने की सुविधा है। मजबूरन बच्चे गंदगी के बीच रहकर मानक विहीन भोजन करने को मजबूर है। पेयजल की समस्या भी विकराल है। बिजली चली जाने पर बच्चों को छत का सहारा लेना पड़ता है। खेलकूद के नाम पर भी विद्यालय में कुछ भी नहीं।

loksabha election banner

----------

पंडित दीन दयाल राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय, हरदौली, बांदा

छात्र संख्या -347

मौजूद-306

विद्यालय में अव्यवस्थाओं का अंबार मिला। डायनिंग हाल में गंदगी व सड़ांध से दुर्गध आ रही थी। भोजन में मेन्यु का सरोकार नहीं। बच्चों को आलू-बरी की पतली सब्जी, दाल में पानी ज्यादा और दूध के नाम पर आधा पानी दिया जा रहा है। अनुशासन से बच्चों का कोई सरोकार नहीं। गैलरी, आंगन और कमरों में जगह-जगह पानी, गंदगी होने से बच्चों को सांस लेना दुश्वार है। विद्यालय के तीन बाथरूम बंद कर दिए गए। सभी बच्चे दो बाथरूम से ही काम चला रहे है। सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं मिला। सीज फायर सिलेंडर तीन सालों से रीफिल नहीं किये गए। इस साल साइंस की कक्षाएं शुरू हुई हैं। लेकिन विज्ञान वर्ग में पढ़ाने के लिए कोई टीचर नहीं है। इस वर्ग के 18 बच्चों को कला वर्ग के टीचर पढ़ा रहे हैं।

-------

-अलीगढ़ की संस्था ने प्रदेश के विद्यालयों में भोजन का ठेका लिया है। प्रति बच्चे 75 रुपये की दर से भोजन का भुगतान किया जाता है। मेन्यु के हिसाब से भोजन नहीं बन पा रहा है। समस्याओं से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है।

-रोहित प्रसाद पटेल, प्रभारी प्रधानाचार्य।

-----------

पंडित दीन दयाल राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय, बबेरू

छात्र संख्या 170

मौजूद-116

विद्यालय में पेयजल सबसे बड़ी समस्या है। बोर कराया गया था जो फेल हो गया। हैंडपंप नया लगा है, पर चालू नहीं हो सका। समरसिबल से पानी लिया जा रहा है। जो पर्याप्त नहीं है। अंदर इतनी गंदगी है कि सांस लेना दूभर है। खिड़कियां टूटी हैं। चद्दर व गद्दे धुले नहीं जा रहे हैं। बच्चे खुद धुलते हैं। मेन्यू सुबह दूध, ब्रेड मक्खन मिलना था। दोपहर में अरहर की दाल, गाजर, मटर, टमाटर का सलाद भी मेन्यू में शामिल है। इसके अलावा मौसमी सब्जी व चावल दिया जाना है। इसके स्थान पर बिना सलाद के पतली आलू की सब्जी परोसी गई। लाइट चले जाने पर अंधेरे में रहते हैं। जनरेटर की व्यवस्था नहीं है।

---------

हमने कई बार भोजन के लिए ठेकेदार से कहा और अधिकारियों को लिखा, लेकिन कोई सुधार नहीं हो रहा है। तीन सालों से पानी की समस्या है-अवधेश कुमार गर्ग

--------

बोले बच्चे-

- सब्जी ठीक नहीं परोसी जाती। सड़ी आलू का प्रयोग किया जाता है। जिसे खाया नहीं जा सकता। बस पेट भरने के लिए भोजन करता हूं। शिकायत करने पर सिर्फ डांट मिलती है।

-गनेश।

-------------------

-दूध के नाम पर सिर्फ सफेदी मिलती है। पानी ही पानी होता है। गंदगी इतनी ज्यादा है कि सांस लेना भी दूभर है। बच्चों से ही सफाई कराई जाती है। -अशोक।

---------------------

-मेन्यु के अनुसार नाश्ते में कुछ और है और मिलता कुछ और। यही स्थित भोजन में भी है। पतली सब्जी व दाल से पेट भरना पड़ता है।

-आलोक

--------------------

- कल भोजन में कढ़ी परोसी गई थी। सभी छात्रों को पूरी न हो सकी तो पानी मिलाकर काम चलाया गया। जो भोजन परोसा जाता है उसका स्वाद से कोई सरोकार नहीं।

-हरदेव।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.