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मुख्तार की सुरक्षा पर जोर, बाकी की निगरानी कमजोर

जागरण संवाददाता बांदा जेल से 22 घंटे तक बंदी के लापता होने के मामले ने सबसे बड़ा सवाल जेल

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 06:23 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 06:23 PM (IST)
मुख्तार की सुरक्षा पर जोर, बाकी की निगरानी कमजोर

जागरण संवाददाता, बांदा: जेल से 22 घंटे तक बंदी के लापता होने के मामले ने सबसे बड़ा सवाल जेल की सुरक्षा पर उठाया। माफिया के जेल में होने के बाद से सख्त की गई निगरानी के बाद भी आखिर बंदी इतनी देर तक अधिकारियों को कैसे चकमा देता रहा। इसको लेकर सभी का अपना-अपना तर्क है। लेकिन विभागीय सूत्रों का मानना है कि जेल का अधिकांश प्रशासन सिर्फ माफिया मुख्तार की सुरक्षा में ही लगा है। इससे अन्य कैदियों व बंदियों की सुरक्षा कर पाने में जेल प्रशासन को दिक्कत हो रही है।

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पंजाब की रूपनगर जेल से माफिया को सात अप्रैल को लाया गया। इसके बाद से जेल की सुरक्षा और सख्त कर दी गई। लेकिन अधिकारियों से लेकर प्रशासन तक का पूरा ध्यान मुख्तार पर ही केंद्रित रहा। जेल की सुरक्षा में 61 बंदी रक्षकों की तैनाती गई तो मगर उसमें से 25 को केवल माफिया की निगरानी में लगा दिया गया। जबकि दो विशेष डिप्टी जेलर की भी निगरानी मुख्तार तक ही सीमित रही। ऐसे में जेल की कमजोर हुई सुरक्षा व्यवस्था का फायदा विजय ने उठाया और वह जेल की पहली दीवाल को फांदने व 22 घंटे तक जेल में ही छिपे रहने में सफल रहा।

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डीआइजी की जांच में भी यही तथ्य आया सामने

जेल से 22 घंटे तक बंदी के गायब रहने के मामले की जांच को पहुंचे डीआइजी ने भी जब जेल प्रशासन से सुरक्षा के बाबत बात की तो उन्हें भी विभागीय अधिकारियों ने यही तर्क दिया। जिसे उन्होंने कारागार मुख्यालय डीजी के यहां भेजी गई अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है।

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रिपोर्ट में बंदी रक्षकों की चूक भी बताई

डीआइजी ने अपने रिपोर्ट में बांदा जेल के बंदी रक्षकों की चूक भी बताई। इसके लिए दंडात्मक कार्रवाई के लिए भी नोटिस दी गई। जिस पर कार्रवाई के लिए विचार किया जा रहा है ।

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- न्यायालय व उच्च अधिकारियों के निर्देश पर मुख्तार की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। हालाकि इससे बंदी रक्षकों पर अन्य की निगरानी पर ज्यादा भार पड़ गया है। अन्य सुरक्षा स्त्रोतों से इस कमी को पूरा किया जाता है।

अरूण कुमार सिंह जेल अधीक्षक

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सीसीटीवी कैमरे भी पड़ गए हैं कम

जेल सूत्रों की मानें तो मुख्तार के बांदा जेल में निरुद्ध होने से कारागार में सीसीटीवी कैमरे भी कम पड़ गए हैं। कारागार में सीसीटीवी, बाडी वार्न व ड्रोन समेत करीब 46 कैमरे लगे हैं। जिसमें ज्यादातर कैमरे अकेले मुख्तार की निगरानी में लगाए हैं। इसके लिए कारागार में अलग-अलग जगहों पर लगे कैमरों को हटवाना पड़ा था। इसकी सूचना पूर्व में जेल प्रशासन ने कारागार मुख्यालय को दी थी। जिसमें करीब छह कैमरों की और मांग की गई है।


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