सूखी पड़ी चरही, प्यास से भटक रहे बेजुबान
पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए चरहियों में पानी भराने के निर्देश हैं लेकिन स्थानीय गल्ला मंडी की चरही सूखी पड़ी है। जबकि आए दिन किसान बैलगाड़ी लेकर पहुंचते हैं लेकिन पानी की व्यवस्था न होने से बेजुबानों को प्यास बुझाने के लिए भटकना पड़ रहा है। स्थानीय गल्ला मंडी में बड़ी संख्या में किसान गेहूं बेचने के लिए आ रहे हैं। ज्यादातर कृषक बैलगाड़ी लेकर पहुंचते हैं। बैलों की प्यास बुझाने की ठीक से व्यवस्था न होने से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मंडी समिति में एक चरही बनी है जो सूखी पड़ी है। अक्सर चरही के पास मवेशी पहुंचते हैं लेकिन खाली होने से बेजु
संवाद सहयोगी, बबेरू : पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए चरहियों में पानी भराने के निर्देश हैं लेकिन स्थानीय गल्ला मंडी की चरही सूखी पड़ी है। जबकि आए दिन किसान बैलगाड़ी लेकर पहुंचते हैं लेकिन पानी की व्यवस्था न होने से बेजुबानों को प्यास बुझाने के लिए भटकना पड़ रहा है।
स्थानीय गल्ला मंडी में बड़ी संख्या में किसान गेहूं बेचने के लिए आ रहे हैं। ज्यादातर कृषक बैलगाड़ी लेकर पहुंचते हैं। बैलों की प्यास बुझाने की ठीक से व्यवस्था न होने से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मंडी समिति में एक चरही बनी है जो सूखी पड़ी है। अक्सर चरही के पास मवेशी पहुंचते हैं लेकिन खाली होने से बेजुबानों को प्यास में इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। मंडी परिसर में सचिव से लेकर उप सभापति/एसडीएम तक बैठते हैं लेकिन अभी तक चरही भरवाने की व्यवस्था नहीं हो पायी। इस संबंध में एसडीएम का कहना है कि चरही में पानी भराने के लिए निर्देशित किया जा चुका है। यदि वह खाली हो जाती है तो दिन में दो-तीन बार पानी भरवाए जाने की व्यवस्था की जाएगी।