पुल निर्माण अधूरा, रेत व दलदल से निकलना बनी मजबूरी
स्थित पीपे का पुल क्षतिग्रस्त होने से वाहन चालकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। रेत व दलदल के रास्ते से सफर तय करना पड़ता है। जाम लगने से घंटों धूप में खड़े रहना मजबूरी बनी रहती है। रेत व दलदल की वजह से वाहन चालकों को निकलने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है।
संवाद सहयोगी बबेरू : औगासी स्थित पीपे का पुल क्षतिग्रस्त होने से वाहन चालकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। रेत व दलदल के रास्ते से सफर तय करना पड़ता है। जाम लगने से घंटों धूप में खड़े रहना मजबूरी बनी रहती है। रेत व दलदल की वजह से वाहन चालकों को निकलने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है।
फतेहपुर-कानपुर व चित्रकूट, अतर्रा, बिसंडा, बबेरू समेत मध्यप्रदेश के सैकड़ों छोटे-बड़े वाहन औगासी पीपे का पुल पार करके जाते हैं। इस स्थान पर कई साल पहले पक्के पुल का निर्माण शुरू हुआ था। कई सरकारें बदल गई पर अभी तक पुल का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। पीपे के पुल और आसपास के हालात यह हैं कि इस रास्ते से निकलना मुश्किल है। पीपे के पुल के ऊपर की चद्दर टूट कर नुकीली हो चुकी हैं। जो कि वाहनों के पहियों को क्षतिग्रस्त करती हैं। इसी तरह उसमें लकड़ी के पटरे भी लगे हैं। जिनसे वाहन तो दूर पैदल भी निकलना जोखिम भरा है। इससे भी बद्दतर हालत तब नजर आती है जब रेत व दलदल में वाहन फंस जाते हैं। राहगीरों का वहां से निकलने पसीना छूट जाता है। फतेहपुर की ओर वाहन निकलने वाले रास्ते भर एक फुट तक धूल का दलदल है। औगासी की ओर ऊंचाई में वाहन चढ़ाना टेढ़ी खीर है। यदि थोड़ा सा पानी बरस गया तो निश्चित है कि यह मार्ग पूरी तरह बंद हो जाएगा। जिससे बारिश के पहले ही लोगों को लंबी दूरी का सफर तय कर तिदवारी बेंदाघाट पुल से निकलने के लिए मजबूर होना पड़ता है।