बिना नक्शा तैयार हो गए अरबों की लागत के भवन
जागरण संवाददाता बांदा नियमों की अनदेखी करने का अगर अवार्ड दिया जाए तो शायद बांदा जनपद सबस
जागरण संवाददाता, बांदा : नियमों की अनदेखी करने का अगर अवार्ड दिया जाए तो शायद बांदा जनपद सबसे आगे होगा। ऐसा कुछ खुलासा पिछले दिनों आरटीआइ से मांगी जानकारी में हुआ। जहां भवन निर्माण के समय जरूरी नक्शे की अनदेखी न सिर्फ आम जनमानस कर रहा है बल्कि सरकारी की ओर से बनाए अरबों रुपये की लगत में भी की गई। बिना विकास प्राधिकरण से नक्शा पास कराए इन भवनों का निर्माण करा दिया गया। इनमें दो अरब की लागत से बना राजकीय मेडिकल कॉलेज हो या छह अरब की लागत से बना कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और कलेक्ट्रेट भवन। इन संस्थाओं ने भवन में सरकार का अरबों रुपये खर्च कर दिया, लेकिन अभी भवनों का नक्शा विकास प्राधिकरण से नहीं पास कराया ऐसे में बिना मानचित्र स्वीकृत संस्थाओं में लोगों को खतरा हो सकता है।
शहर के छोटीबाजार निवासी देवेश कुमार ने इस संबंध में 23 जनवरी को जिला विकास प्राधिकरण से सशपथ जनसूचना मांगी थी। इसमें उन्होंने चार बिदु समाहित किए थे। प्रश्न संख्या चार में जानकारी चाही थी कि बांदा मेडिकल कॉलेज, नरैनी रोड, कृषि विश्वविद्यालय, मवई और जिलाधिकारी कार्यालय, बांदा के भवनों का नक्शा किस वर्ष व समय में पास हुआ है। उसकी प्रमाणित छायाप्रति दी जाए। इस पर विकास प्राधिकरण सचिव ने आरटीआइ में पांच फरवरी को सूचना दी है कि बीडीए के रिकार्ड के मुताबिक बांदा राजकीय मेडिकल कॉलेज, कृषि विश्वविद्यालय, जिलाधिकारी कार्यालय ने यहां से कोई मानचित्र की स्वीकृति नहीं ली है।
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हो रहा निर्माण अधिकारियों को नहीं नक्शे की जानकारी
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा.यूएस गौतम के सचिव पीए रंजीत कुमार सिह का कहना है कि नक्शा पास करवाना कार्यदाई संस्था का काम है। उन्हें इसकी जानकारी नहीं। जिलाधिकारी हीरालाल ने कहा है कि भवन काफी दिन से निर्माणाधीन है। मानचित्र पास होने की जानकारी नहीं है।
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भवन निर्माण के लिए मानचित्र की स्वीकृति अनिवार्य है। भवन सरकारी हो या व्यक्तिगत। सभी के लिए एक नियम है। इन भवनों के मानचित्र स्वीकृत के लिए जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
- संदीप कुमार सचिव विकास प्राधिकरण