औषधीय खेती से आय दोगुनी करने में पिछड़ गया बांदा
जागरण संवाददाता, बांदा : औषधीय खेती के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी करने की शासन की मंश्
जागरण संवाददाता, बांदा : औषधीय खेती के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी करने की शासन की मंशा अधूरी रह गई है। राष्ट्रीय औषधीय पौध मिशन योजना में उद्यान विभाग बुरी तरह पिछड़ गया। विभाग को जो अनुदान मिला है वह भी अभी तक खर्च नहीं किया जा सका है।
आयुर्वेदिक इलाज में सतावरी, अश्वगंधा, कालमेघ, एलोवेरा, तुलसी आदि औषधियों की काफी मांग रहती है। आयुर्वेद से जुड़ी कंपनियां इन्हें हाथों हाथ खरीद लेती हैं लेकिन जनपद में प्रचार-प्रसार की कमी से किसानों में जागरूकता का अभाव दिख रहा है। यही कारण है कि 10 हेक्टेयर में तुलसी और 4 हेक्टेयेर में एलोवेरा की खेती कराने का लक्ष्य 50 प्रतिशत भी पूरा नहीं हो सका। इनमें सतावरी, अश्वगंधा, कालमेघ की फसल की बुवाई ही नहीं हुई, जबकि तुलसी की सिर्फ पांच हेक्टेयर और एलोवेरा तीन हेक्टेयर में ही बुवाई हुई। वो भी तब जब किसानों को इसके लिए लागत का 30 प्रतिशत अनुदान भी मिलना था।
कैंप बने औपचारिकता
औषधीय खेती के प्रति किसानों में रुचि पैदा करने के लिए गांवों में कैंप लगाने की योजना है लेकिन ये सिर्फ दिखावा बनकर रह गए हैं। गांवों में कैंप लगाने में महज औपचारिकता निभाई जा रही है।
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उप निदेशक पर कई जिलों का जिम्मा
चित्रकूटधाम मंडल के उप निदेशक भैरम ¨सह के पास झांसी व चित्रकूट सहित सात जिलों की जिम्मेदारी है। ऐसे में वह सप्ताह में जब कभी एक दिन आते हैं और हस्ताक्षर कर चले जाते हैं।
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जनपद में सिर्फ एलोवेरा व तुलसी की खेती का लक्ष्य शासन से मिला था। किसानों को औषधीय खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है। लक्ष्य भी जल्द पूरा करा लिया जाएगा।
-परवेज खां, डीएचओ, बांदा