Banda: मां की मार से नाराज होकर दो दिन पहले घर से भागा, ट्रेन पर बैठ चला आया बांदा, पिता को देख बहने लगे आंसू
अपने बच्चों की गलतियों को सुधारने और उन्हें सही रास्ते पर लाने के लिए मां-बाप पिटाई भी लगा देते हैं। लेकिन कुछ बच्चे इतने भावुक होते हैं कि वे घर में मार पड़ने से आहत होकर घर ही छोड़ देते हैं।
बांदा, जागरण संवाददाता। कहते हैं कि माता-पिता की डांट फटकार से बच्चे का भविष्य संवरता है। अपने बच्चों की गलतियों को सुधारने और उन्हें सही रास्ते पर लाने के लिए मां-बाप पिटाई भी लगा देते हैं। लेकिन कुछ बच्चे इतने भावुक होते हैं कि वे घर में मार पड़ने से आहत होकर घर ही छोड़ देते हैं। यूपी के बांदा जिले में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां एक बच्चा ट्रेन पर बैठकर अपने घर से तकरीबन 300 किलोमीटर दूर आ गया, लेकिन जब उसे घर से दूर होने की परेशानियों ने सताया तो फिर से घर याद आने लगा।
दरअसल, बांदा रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ को एक 11 वर्षीय बालक संदिग्ध और अकेला दिखा। उससे पूछताछ करने पर सारी कहानी सामने आ गई। आरपीएफ ने सिविल पुलिस की सहायता से उसके पिता को बुलवाया और जब बच्चे ने अपने पिता को देखा तो उसकी आंख से आंसू झर-झर बहने लगे।
प्लेटफार्म पर अकेला खड़ा कांप रहा था
हुआ कुछ यूं कि बांदा रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म एक पर गश्ती के दौरान आरपीएफ दारोगा अतुल कुमार की नजर किनारे खड़े सर्दी से कांप रहे बालक पर पड़ी तो उन्हें कुछ अंदेशा हुआ। आस पास कोई स्वजन के नजदीक नहीं पहुंचने पर शक गहराया तो वे उससे पूछताछ करने लगे। वर्दी देख बच्चा सहमा और रोने लगा।
कंबल देकर दुलारा तो बयां की कहानी
बाद में बच्चे को स्टाल से बिस्कुट आदि लेकर खिलाया और आरपीएफ थाने पर कंबल देकर दुलारा तो 11 साल के बच्चे ने कहानी बयां कर दी। बच्चे ने बताया कि वह मां की मार से नाराज होकर फर्रुखाबाद से यहां चला आया है। शाम ढलने पर उसे डर लगा तो ट्रेन से यहीं उतर गया। सारा मामला समझने के बाद उसके पिता के मोबाइल नंबर पर फोन किया गया।
दो दिन पहले घर से निकला था
दारोगा ने बताया कि फर्रुखाबाद कोतवाली में संपर्क करने पर थाना इंचार्ज विनोद कुमार शुक्ल को नाम और पते की जानकारी दी। पता चला कि बच्चे के पिता मो. आलम ने बेटे साहबेआलम के नहीं मिलने की शिकायत दो दिसंबर को दर्ज कराई है। प्रभारी निरीक्षक आरपीएफ विक्टर लाकरा ने बताया कि नाबालिग लड़के को सिविल पुलिस के साथ आए पिता की पहचान बच्चे से कराए जाने के बाद तहरीर लेते हुए सुपुर्द कर दिया गया है।