कजली मेले की तैयारियों के प्रति प्रशासन उदासीन
संवादसूत्र , का¨लजर : ऐतिहासिक कालिंजर में होने वाले कजली मेले के प्रति प्रशासनिक उपेक्षा क
संवादसूत्र , का¨लजर : ऐतिहासिक कालिंजर में होने वाले कजली मेले के प्रति प्रशासनिक उपेक्षा की जा रही है। बदहाल रास्तों और गंदगी के बीच यह कजली मेला कैसे होगा, यह लाख टके का सवाल है। स्थानीय तौर पर ग्रामीणों द्वारा कई बार शिकायत भी की गई लेकिन समस्या ज्यों कि त्यों बनी हुई है।
यहां का कजली मेला प्रशासन के सहयोग से महोबा जिले की तरह धूमधाम से मनाया जाता है। इस मेले में हाथी, घोड़े, ऊंट में आल्हा, ऊदल व अन्य वीर योद्धाओं की झांकियां निकाली जाती है। यह झांकी कस्बे के प्रमुख मार्गों से होते हुए बेलाताल पहुंचती है। इसे देखने के लिए सीमावती मध्यप्रदेश के गांव से सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ती है। कजली मेले में लगभग 30 हजार लोगों की संख्या को संभालने में पुलिस प्रशासन को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसके लिए पूर्व से तैयारियां की जाती रही हैं। परंतु इस वर्ष जिन रास्तों से होकर यह झांकियां गुजरनी है वहां की साफ-सफाई तक नहीं की गई। रास्तो में जगह-जगह कूड़े के ढेर व कीचड़ है। जबकि मेले मे मात्र चार दिन ही शेष बचे हैं।
मेला कमेटी के द्वारा एसडीएम नरैनी को लिखित में दिया जा चुका है परंतु उनके द्वारा भी अभी तक कोई पहल नहीं की गई है। लोगों ने जिलाधिकारी से व्यवस्था पूर्ण कराने की मांग की है।
परंपरा को तोड़ने से श्रद्धालुओं में आक्रोश
ऐतिहासिक दुर्ग का¨लजर में नीलकंठ भगवान में प्रतिवर्ष भंडारा का आयोजन किया जाता है। आस्थावान सामग्री लेकर वहां श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित करते हैं। बीते दिवस भारतीय पुरातत्व विभाग व सिक्योरिटी गार्डों ने सामान लदे ट्रैक्टर को दुर्ग के ऊपर टिकट गेट के पास जाने से रोक दिया। श्रद्धालु कल्लू कुशवाहा ने बताया कि गेट के पास रोक दिए जाने से वह पूरी सामग्री लगभग दो किमी. दूर सिर पर रखकर ले गए। इससे भंडारा के लिए लाया गया दूध खराब हो गया। वहीं प्रसाद भी नहीं बन पाया। विभागीय कर्मियों के प्रति श्रद्धालुओं में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि इससे पहले परंपरागत रूप से प्रसाद वितरण किया जाता रहा है। विभाग इस कार्य में सहयोगी रहा है। इस संबंध में सर्किल इंचार्ज नितिन शर्मा को दूरभाष पर संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।