हत्यारोपित बरी, विवेचक पर कार्रवाई के आदेश
जागरण संवाददाता बांदा प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश मो. अशरफ अंसारी की अदालत में हत्यारोपित को
जागरण संवाददाता, बांदा : प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश मो. अशरफ अंसारी की अदालत में हत्यारोपित को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया। इस मामले में विवेचक की भूमिका संदिग्ध रही। अदालत ने सिद्धार्थ नगर एसपी को विवेचक पर विभागीय कार्रवाई और भविष्य में गंभीर मामलों में विवेचना न कराए जाने का आदेश दिया है।
अपर शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार तिवारी ने बताया कि पैलानी थाना क्षेत्र के खप्टिहा गांव निवासी हीरालाल ने एक दिसंबर 2012 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसमें बताया था कि उसका छोटा भाई मुन्ना 29-30 नवंबर की रात गांव में रामलीला देखने गया था। सुबह तक नहीं लौटा, आठ बजे के बाद लोगों ने बताया कि तुम्हारे भाई का शव अलोना जाने वाले मार्ग पर पड़ा है। अज्ञात पर मामला दर्ज किया गया था। विवेचक राजेंद्र बहादुर सिंह ने विवेचना के दौरान इसमें एक नाबालिग और दो फैलू व नंदू खटिक को आरोपित किया था। तीनों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया। लेकिन नाबालिग होने के कारण के पत्रावली अलग कर दी गई। दूसरे आरोपित फैलू की मुकदमा के दौरान मौत हो गई। मामले की सुनवाई नंदू खटिक के खिलाफ की गई। सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से आठ गवाह पेश किए गए। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के अवलोकन के बाद नंदू खटिक को संदेह का लाभ देते हुए न्यायाधीश ने बरी कर दिया। विवेचक राजेंद्र बहादुर सिंह वर्तमान में सिद्धार्थ नगर जिले के थाना सोहरतगढ़ में तैनात हैं, उनके खिलाफ लिखा कि समस्त कार्यप्रणाली विवेचना के दौरान अपारदर्शी रही। पूरी विवेचना किसी भी रूप में निष्पक्षता के साथ संपादित नहीं की गई। विवेचक ने अपने कर्तव्यों का विधिक रूप से निर्वहन नहीं किया। इसलिए उसके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई हेतु मामला संदर्भित किया जाना आवश्यक है, और गंभीर मामलों में भविष्य में विवेचना भी नहीं कराई जाए। इसका आदेश सिद्धार्थ नगर एसपी को भेजने का निर्देश दिया।