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2.20 लाख मीट्रिक टन से अधिक उत्पादन की तैयारी

जागरण संवाददाता, बांदा : अबकी बार खरीफ में खेती को और समृद्ध बनाने की तैयारी है, प्रस्तावित

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 10:48 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 10:48 PM (IST)
2.20 लाख मीट्रिक टन से अधिक उत्पादन की तैयारी
2.20 लाख मीट्रिक टन से अधिक उत्पादन की तैयारी

जागरण संवाददाता, बांदा : अबकी बार खरीफ में खेती को और समृद्ध बनाने की तैयारी है, प्रस्तावित खाका पहले ही बन चुका है। अबकी बार कुल 2 लाख 20 हजार 603 मीट्रिक टन उत्पादन किया जाना है। गत वर्ष की तुलना में 65 हजार मीट्रिक टन अधिक अनाज पैदा किया जाएगा। इसी तरह आच्छादन लक्ष्य में भी बढ़ोत्तरी की गई है। देखा जाए तो मानसूनी किसानी का मौसम भी शुरू हो चुका है। इंतजार सिर्फ बारिश का है। विभागीय अधिकारियों का जहां दावा है कि बीज आदि की व्यवस्था कर ली गई है। जल्द ही किसान पाठशालाएं लगने वाली हैं। ताकि कृषकों को उन्नत तकनीक सहित अन्य जानकारियां पहुंचाई जा सकें। वहीं किसानों ने उत्पादन के लिए प्रस्तावित बढ़ोत्तरी लक्ष्य पर प्रसन्नता जताई और यह भी कहा कि इसके साथ ही ¨सचाई के संसाधन भी बढ़ाए जाएं, क्योंकि ¨सचाई के लिए समय से पानी मिल जाए तो किसानी भी संवर जाती है। 'खरीफ में इस साल 49 हजार हेक्टेअर से अधिक की बढ़ोत्तरी प्रस्तावित की गई है। इसमें 65 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा उत्पादन का लक्ष्य भी शामिल है। कृषि विभाग द्वारा तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। बीज भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है ताकि बढ़ोत्तरी का जो टारगेट रखा गया है उसे पूरा कराया जा सके।'

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-एके ¨सह, उप कृषि निदेशक - ग्राम तुर्रा निवासी किसान पंकज पांडेय का कहना है कि खरीफ की फसलों में अतर्रा क्षेत्र में मुख्य रूप से धान की पैदावार की जाती है। यहां उसका बाजार होने से उपज का मूल्य भी सही मिलता है। लेकिन ¨सचाई संसाधन पर्याप्त न होने से विगत पांच वर्षों से खेती की लागत भी ठीक से नहीं निकल पा रही। प्राकृतिक बारिश से ही खेती हो रही है। नहर का पानी भी समय से नहीं मिल पाता। खरीफ में उत्पादन व आच्छादन के लक्ष्य में बढ़ोत्तरी प्रस्तावित की गई है। यह अच्छी बात है। लेकिन ¨सचाई संसाधन भी बढ़ाए जाने चाहिए। - ग्राम खेरिया के किसान विमलकांत बताते हैं कि यहां के मिट्टी व जलवायु के हिसाब से धान के अलावा मूंग, सोयाबीन सब्जियां आदि पैदा होती हैं। लेकिन धान के अलावा इन फसलों का किसानों को उपज का सही मूल्य न मिल पाने से इन्हें पैदा नहीं करते। यदि इस तरह के फसलों के उत्पादन के बाद उपज का सही मूल्य मिलने लगे तो ज्यादा से ज्यादा कृषक मूंग, सोयाबीन व सब्जियों की खेती कर अपना मुनाफा बढ़ा सकते हैं। खेती के लिए ¨सचाई संसाधन भी बढ़ाए जाने चाहिए ताकि बारिश के अलावा भी जरूरत के समय ¨सचाई की जा सके। खरीफ का आच्छादन लक्ष्य-163919 हेक्टेअर

खरीफ में उत्पादन लक्ष्य-230630 मीट्रिक टन


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