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नहर कटान से कई गांवों की 200 बीघा फसल जलमग्न

टरी टूटने से करीब 200 बीघे फसल जलमग्न हो गई। फसलें डूबने से तबाह किसानों में आक्रोश है। कटान से प्रभावित क्षेत्र के किसानों ने सामूहिक हस्ताक्षर से मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मुआवजा मांगा। लापरवाही पर सिचाई विभाग के संबंधित अधिकारी को दंडित करने का अनुरोध किया। मामला नरैनी तहसील क्षेत्र का है। यहां से होकर गुजरी नहर की पटरी किसानों के लिए तबाही का कारण बन गई। बुधवार को नहर में पानी छोड़े जाने के बाद कई सैकड़ा बीघे जमीन में धान की कटी हुयी फसल पड़ी थी और गेंहू भी बोया गया था लेकिन सिचाई

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 10:32 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 06:02 AM (IST)
नहर कटान से कई गांवों की 200 बीघा फसल जलमग्न
नहर कटान से कई गांवों की 200 बीघा फसल जलमग्न

संवाद सहयोगी, बड़ोखर बुजुर्ग : सिचाई विभाग की लापरवाही के चलते नहर की पटरी टूटने से करीब 200 बीघे फसल जलमग्न हो गई। फसलें डूबने से तबाह किसानों में आक्रोश है। कटान से प्रभावित क्षेत्र के किसानों ने सामूहिक हस्ताक्षर से मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मुआवजा मांगा। लापरवाही पर सिचाई विभाग के संबंधित अधिकारी को दंडित करने का अनुरोध किया।

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मामला नरैनी तहसील क्षेत्र का है। यहां से होकर गुजरी नहर की पटरी किसानों के लिए तबाही का कारण बन गई। बुधवार को नहर में पानी छोड़े जाने के बाद कई सैकड़ा बीघे जमीन में धान की कटी हुयी फसल पड़ी थी और गेंहू भी बोया गया था, लेकिन सिचाई विभाग ने पानी छोड़ा तो अलिहा रजबहा के पास नहर की पट्टी टूट गयी। जिसके कारण कई किसानों की फसल डूब गई। किसानों ने सामूहिक हस्ताक्षर कर मुख्यमंत्री के यहां शिकायती पत्र भेजा। जिले के सिचाई और नहर विभाग की लापरवाही से अवगत कराया। जलभराव से नष्ट हुई फसल के नुकसान का मुआवजा मांगा। किसानों ने कहा है कि एक सप्ताह के अंदर मुआवजा नहीं दिया जाता तो किसान आत्महत्या करने को मजबूर होंगे।

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ये गांव हुए प्रभावित :

प्रेमपुर, केशरूवा, मुरवां, दरबारी का पुरवा, हुसैनपुर, बांसी, छितारी का पुरवा और अंगद का पुरवा

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इन किसानों की फसलें डूबी :

किसान राजाभैया, राममिलन, गोरेलाल, नत्थु सिंह, रमेश सिंह, हरप्रसाद, राजकरन,भूपत, रामकिशोर, दयाराम, धर्मेंद्र, मनोज, मेवाराम, लालाराम, विनोद कुमार, प्रमोद कुमार, रामनरेश और गुमान सिंह

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बोले जिम्मेदार :

-नहर कटान की जानकारी मिलते ही उसे बंधवाया गया है। इसमें नहर विभाग को लापरवाह नहीं ठहराया जा सकता। क्योंकि किसानों ने नहर में पुआल फूंका था। वह आगे झाल जम गया और पानी छोड़ने के बाद उफान से खेतों में भर गया।

- अरविद पांडेय, एक्सईएन, केन कैनाल


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