मई जैसी बरस रही गर्मी
बांदा, जागरण संवाददाता :
जिस मौसम में झर्झर बारिश व सिरहन भरे ठंडक का अहसास होना चाहिए प्राकृतिक संपदाओं के दोहन से मौसम का संतुलन बिगड़ गया है। अगस्त में भी मई जैसी गर्मी बरस रही है। मानसून ठीक न होने से गर्मी व पसीने से लोगों को निजात नहीं मिल पा रही है। धूप से बचने के लिए छतरी व गमछे का लोग मजबूरी में इस्तेमाल कर रहे हैं।
अगस्त माह में सूर्य की चटख किरणें लोगों को बेहाल किए हैं। दोपहर में आलम यह रहता है कि लोगों का हलक सूख जाता है। छतरी व गमछे के बगैर मजाल क्या कि कोई सड़कों पर दिखाई पड़ जाए। मई जैसे हालात नजर आ रहे हैं। धूप से बचने के लिए छाया ढूंढते दिनभर नजर आते हैं। हर कोई बादलों की ओर देखकर आह भरता है। लोगों का कहना है कि बारिश बिल्कुल बंध सी गई है। इससे गर्मी है कि पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रही है। यही हाल रहा तो लोगों का जीना दुश्वार हो जाएगा। बीमारियां भी सिर चढ़कर बोलेंगी। किसानी तो जैसे पूरी तरह ही चौपट हो जाएगी। अन्नदाता दाने-दाने को मोहताज हो जाएगा। इससे लोगों को महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी। इस सबका कारण यही नजर आता है कि अधाधुंध प्राकृतिक संपदाओं का जो दोहन हो रहा है उसी का प्रकोप मौसम के रूप में दिखाई पड़ रहा है।
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नीबू की बढ़ी बिक्री
बांदा : सितंबर माह में जहां नीबू को कोई भूले से नहीं पूछता था मौसम में बदलाव न होने से अभी भी नीबू की बिक्री जोरों से हो रही है। नीबू विक्रेता भी इसका जमकर लाभ उठा रहे हैं। कचहरी चौराहे से लेकर हनुमान गढ़ी तक फुटपाथ में नीबू की बाजार लगती है।