लौटे बेटे तो गलियां गुलजार, अब बहेगी स्वच्छता की बयार
चित्र परिचय-24 बीएलएम 24 -मेरा गांव-मेरा देश -महानगरों से लौटे प्रवासी दे रहे स्वच्छता की सीख
पवन मिश्र, बलरामपुर :
खुले में शौच से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए गांवों में शौचालय तो बन गए थे, लेकिन जागरूकता के अभाव में इनका उपयोग नहीं शुरू हो पाया। खूब जागरूकता अभियान चला लेकिन फर्क नहीं पड़ा। कोरोना महामारी फैलने के बाद ग्रामीणों ने सफाई पर ध्यान देना शुरू कर दिया। सफाई अभियान को रफ्तार देने की बचीखुची कसर महानगरों से लौटे प्रवासियों ने पूरी कर दी। वह न खुद शौचालय प्रयोग कर रहे हैं, बल्कि खुले में शौच करने जा रहे व्यक्ति को भी टोक कर शौचालय प्रयोग करने की नसीहत दे रहे हैं। ऐसे में घर छोड़ गए बेटों के लौटने से अब गांव की गलियां गुलजार हैं, साथ ही स्वच्छता की बयार भी धीरे-धीरे बहने लगी है। अपनों ने समझाया तब रास आया :
नरायनपुर के पाठकजोत में विजयकांत सिंह के ईंट भट्ठा तिराहे पर ग्रामीण चर्चा करते दिखे। भट्ठा मालिक आशीष सिंह का कहना था कि शहर से लौटे प्रवासी गांव में अधूरे व निष्प्रयोज्य शौचालय दुरस्त करा रहे हैं। धर्मराज व संतराम बोल पड़े कि कई प्रवासी शौचालय बनाने के लिए ईंटें भी खरीद रहे हैं। लवकुश व मनीराम यादव का कहना कि जब सरकार समझा रही थी तब नहीं समझे, लेकिन जब परदेश से आए बेटे व बहू ने समझाया तो अब शौचालय बनवा रहे हैं। सहदेव व राजू कहते है कि परदेश से लौटे लोगों ने शौचालय का महत्व समझाया है। वीरेंद्र वर्मा कहते हैं कि प्रवासियों की सीख से लोग स्वच्छता के प्रति जागरूक हो रहे हैं। 20580 शौचालयों का निर्माण शुरू :
-स्वच्छ भारत मिशन के जिला समन्वयक सौम्य मदान का कहना है कि जब से प्रवासी लौटे है,गांवों में शौचालय का प्रयोग बढ़ा है। विभिन्न ब्लॉकों में 20580 नए शौचालय बन रहे हैं। साथ ही पुराने निष्प्रयोज्य शौचालयों का भी प्रयोग होने लगा है। उम्मीद है कि अब गांवों में स्वच्छता की मुहिम रंग लाएगी।