रेशम कीट के अभाव में वीरान हो गया फार्म हाउस
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अनूप शुक्ल, सादुल्लाहनगर (बलरामपुर)
रेशम की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार क्यों न गंभीर हो, लेकिन अधिकारियों की कार्यशैली के चलते उसकी मंशा परवान नहीं चढ़ रही है। 50 बीघे में फैला फार्म हाउस वीरान नजर आ रहा है। कारण बीते एक दशक से रेशम के कीड़े नहीं भेजे गए। जिससे खेती नहीं हो सकी। किसान भी बेरोजगार हो गए। यही नहीं, जमीन भी बंजर हो गई। जिसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है।
विकास खंड रेहरा बाजार क्षेत्र के ग्राम पंचायत पिपरा ग्रंट स्थित राजकीय रेशम फार्म हाउस 50 बीघे में फैला है। पिपरा ग्रंट, बैरिया सुर्जनपुर, मुबारकपुर, सहजौरा, घोघरा, विजयपुर ग्रंट गांव के किसान खेती करते थे। दस वर्ष से रेशम कीट न आने से किसान बेरोजगार हो गए। तुफैल अहमद, कौशल कुमार, संतोष कुमार, जंग प्रसाद, तिलकराम, उमेश कुमार, मुन्नालाल, शौकत अली, गंगाराम, रामतेज चौहान, दिलीप कुमार, रोली देवी व ऊषा देवी का कहना है कि राजकीय रेशम फार्म हाउस में शहतूत लगाया जाता था। कीट न मिलने से शहतूत के पौधे नहीं लगाए गए। धीरे-धीरे जमीन बंजर हो गई। रखरखाव की जिम्मेदारी एक चौकीदार के सहारे है। चौकीदार संतराम ने बताया कि शहतूत के पत्ते पर रेशम कीट का उत्पादन किया जाता है, लेकिन बेसहारा पशु शहतूत के पौधे को नष्ट कर दे रहे हैं। जिससे पालन करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। फार्म हाउस के चारों तरफ चहारदीवारी का निर्माण नहीं हो सका है। उपजिलाधिकारी अरुण कुमार गौड़ ने बताया कि जानकारी नहीं है। फार्म हाउस का निरीक्षण कर शीघ्र कमियों को दूर किया जाएगा।