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यहां विज्ञान का कमाल सीख रहे नौनिहाल

शिक्षा क्षेत्र श्रीदत्तगंज का उच्च प्राथमिक विद्यालय कपौवा शेरपुर परिषदीय स्कूलों के लिए किसी नजीर से कम नहीं है। यहां पढ़ने वाले बच्चों को विज्ञान की प्रयोगात्मक शिक्षा देकर पारंगत किया जा रहा है। शिक्षक आशुतोष चतुर्वेदी की इस पहल से बच्चों में विज्ञान के प्रति अभिरुचि पैदा हुई है। बच्चों को विज्ञान में चार्ट, सूक्ष्मदर्शी व परखनली के माध्यम से रसायन व भौतिक विज्ञान के सूत्र सिखा रहे हैं। साथ ही कंकाल तंत्र व विभिन्न प्रयोग के माध्यम से जीव विज्ञान की भी रोचक जानकारी देते हैं। इस विधि से बच्चों में विज्ञान विषय की अच्छी समझ उत्पन्न हो रही है। यही नहीं, बच्चों को साक्षात्कार का अभ्यास कराने की पहल स्कूल को अन्य विद्यालयों से विशिष्ट बनाती है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 10:23 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 10:23 PM (IST)
यहां विज्ञान का कमाल सीख रहे नौनिहाल
यहां विज्ञान का कमाल सीख रहे नौनिहाल

श्लोक मिश्र, बलरामपुर :

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शिक्षा क्षेत्र श्रीदत्तगंज का उच्च प्राथमिक विद्यालय कपौवा शेरपुर परिषदीय स्कूलों के लिए किसी नजीर से कम नहीं है। यहां पढ़ने वाले बच्चों को विज्ञान की प्रयोगात्मक शिक्षा देकर पारंगत किया जा रहा है। शिक्षक आशुतोष चतुर्वेदी की इस पहल से बच्चों में विज्ञान के प्रति अभिरुचि पैदा हुई है। बच्चों को विज्ञान में चार्ट, सूक्ष्मदर्शी व परखनली के माध्यम से रसायन व भौतिक विज्ञान के सूत्र सिखा रहे हैं। साथ ही कंकाल तंत्र व विभिन्न प्रयोग के माध्यम से जीव विज्ञान की भी रोचक जानकारी देते हैं। इस विधि से बच्चों में विज्ञान विषय की अच्छी समझ उत्पन्न हो रही है। यही नहीं, बच्चों को साक्षात्कार का अभ्यास कराने की पहल स्कूल को अन्य विद्यालयों से विशिष्ट बनाती है। निजी खर्च पर खरीदा मानव कंकाल तंत्र :

-मई 2018 में पचपेड़वा से स्थानांतरित शिक्षक आशुतोष चतुर्वेदी की विद्यालय में तैनाती हुई। इसके अलावा प्रधानाध्यापक धनीराम व सहायक अध्यापिका हेमारानी तैनाती हैं। 126 बच्चों का नामांकन है। बच्चों को विज्ञान के गुर सिखाने के लिए शासन से सभी उच्च प्राथमिक स्कूलों को विज्ञान किट उपलब्ध कराई गई थी। शिक्षक आशुतोष चतुर्वेदी ने इस किट को अमल में लाना शुरू किया। बच्चों को माइक्रोस्कोप के जरिए सूक्ष्मजीवियों की पहचान कराई। साथ ही परखनली से रासायनिक अभिक्रिया का प्रयोग दिखाया। यही नहीं, निजी खर्च पर उन्होंने मानव कंकाल तंत्र की व्यवस्था कराई। जिससे बच्चों को मानव अंगों के बारे में बेहतर जानकारी दी जा सके। जिम्मेदार के बोल :

-बीएसए हरिहर प्रसाद का कहना है कि शिक्षक का प्रयास सराहनीय है। विद्यालय में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जिन संसाधनों की आवश्यकता होगी, उसे मुहैया कराया जाएगा।


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