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महामारी में रिकी ने संभाली कमान..मासूमों की खिली मुस्कान

बाहर निकलकर लोगों से मिलने में भी लोग परहेज करते रहे। सबसे ज्यादा परेशानी उन मासूमों को हुई जो कुपोषण के शिकार थे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 10:29 PM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 10:29 PM (IST)
महामारी में रिकी ने संभाली कमान..मासूमों की खिली मुस्कान
महामारी में रिकी ने संभाली कमान..मासूमों की खिली मुस्कान

बलरामपुर : वैश्विक महामारी कोरोना ने जब पांव पसारे, तो हर कोई घरों में दुबक गया। बाहर निकलकर लोगों से मिलने में भी लोग परहेज करते रहे। सबसे ज्यादा परेशानी उन मासूमों को हुई, जो कुपोषण के शिकार थे।

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वहीं, जिला मेमोरियल चिकित्सालय को एल-वन अस्पताल बना देने से यहां स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) भी बंद हो गया था। परिवारजन अपने जिगर के टुकड़े के स्वास्थ्य को लेकर बेचैन थे। ऐसे में, एनआरसी की न्यूट्रीशनिस्ट रिकी सिंह ने मासूमों के चेहरे पर मुस्कान बिखरने का बीड़ा उठा लिया।

अस्पताल के प्रथम तल पर मन कक्ष के पास एआरटी सेंटर में ड्यूटी लगाई गई। अपनी जिदगी दांव पर लगाकर न सिर्फ बराबर अस्पताल में अपने फर्ज हो अहमियत दी, बल्कि एनआरसी से घर भेजे गए बच्चों के परिवारजन से बराबर संपर्क बनाए रखा। यही नहीं, बच्चों का फालोअप करते हुए उनके घर जाकर आवश्यक दवाएं भी वितरित कीं। कोरोना से बचने के लिए मास्क, सैनिटाइजर व शारीरिक दूरी के लिए बराबर जागरूक करतीं रहीं।

छह माह में 80 मासूम बने सेहतमंद :

जिला मेमोरियल अस्पताल में स्थित एनआरसी में अतिकुपोषित बच्चों को भर्ती किया जाता है। यहां उन्हें पूरक पोषाहार के साथ दवाएं दी जाती है। साथ ही परिवार के एक सदस्य को निश्शुल्क भोजन व प्रतिदिन 50 रुपये के हिसाब से दिया जाता है। अब तक एनआरसी में करीब 800 से अधिक अतिकुपोषित बच्चों को भर्ती किया जा चुका है। इनमें से अधिकांश सेहतमंद हो चुके हैं।

रिकी बताती हैं कि लाकडाउन अवधि में अप्रैल से जून तक दूरभाष के माध्यम से बच्चों के परिवारजन से संपर्क बनाए रखा। इस दौरान करीब 20 बच्चे दवाओं व पूरक पोषाहार से स्वस्थ हुए। इसके बाद एनआरसी खुलने पर बच्चों को भर्ती करना शुरू किया। तीन माह में करीब 60 बच्चों को भर्ती कर उनका इलाज किया गया।

..ताकि गूंजती रहे किलकारी :

चिकित्सक डा. अजय कुमार पांडेय का कहना है कि कुपोषण से पीड़ित बच्चों को एनआरसी पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम कार्य कर रही है। साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा व एएनएम का भी सहयोग लिया जाता है। जिले के माथे पर कुपोषण का कलंक लग चुका है। ऐसे में बच्चों को सेहतमंद बनाने के लिए लाकडाउन अवधि में भी एनआरसी का संचालन जारी रखा गया। इस दौरान न्यूट्रीशनिस्ट रिकी सिंह की भूमिका सराहनीय रही।


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