मानव जीवन में जहर घोल रही पालीथिन, प्रतिबंध का नहीं कोई असर
श्लोक मिश्र, बलरामपुर : सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी पालीथिन के उपयोग पर लगाम नहीं लग सकी है। पालीथिन के दुष्प्रभावों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त है। एक जुलाई से पालीथिन के उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की कवायद में प्रशासन जुटा है, लेकिन यह किसी चुनौती से कम नहीं है। वजह, जिले में पड़ोसी देश नेपाल से बेरोक-टोक पालीबैग बाजारों में पहुंच रहे हैं। चारों नगर निकायों में रोजाना करीब 20 हजार पालीथिन की खपत रोजमर्रा की वस्तुएं लाने ले जाने में होती है। इसके साथ ही करीब 1.20 क्विंटल थर्माकोल व अन्य सिंगल यूज्ड सामग्री कचरे के रूप में निकलती है। पालीथिन कैंसरजनित रोगों का प्रमुख कारक है। साथ ही मनुष्यों के साथ मवेशियों के लिए भी जहर से कम नहीं है।
यहां से आती हैं पालीथिन की खेप : जिले के बाजारों में पालीथिन की खेप पड़ोसी जनपदों, महानगरों समेत नेपाल राष्ट्र से आती है। नगर पालिका बलरामपुर में बहराइच व कानपुर की फैक्ट्रियों से पालीथिन की खेप आती है। इसी तरह नगर पंचायत तुलसीपुर व पचपेड़वा में नेपाल से भारी मात्रा में पालीथिन पहुंचाई जाती है। उतरौला में खलीलाबाद व लखनऊ से पालीथिन आने की बात कही जा रही है। जिले में भारी मात्रा में पालीथिन पहुंचाने में प्रशासन की मौन स्वीकृति से इन्कार नहीं किया जा सकता है। एक जुलाई से प्रतिबंध का कोई असर नहीं दिख रहा है।
19 आइटम किए गए बैन : प्लास्टिक की डंडियों वाले ईयर बड, बलून स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, लालीपाप की डंडी, आइस्क्रीम की डंडी, थर्माकोल के सजावटी सामान, प्लेट्स, कप, गिलास, कांटे-चम्मच, चाकू, स्ट्रा, ट्रे, मिठाई के डिब्बे पर लगने वाली पन्नी, निमंत्रण पत्र, सिगरेट पैकेट, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक और पीवीसी बैनर।
प्रशासन ने कसी कमर : नगर पालिका अध्यक्ष किताबुन्निशा ने बताया कि पालीथिन के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। इसके लिए पांच दिन तक रैली, होर्डिंग-बैनर व प्रचार के माध्यम से आम जन को सिंगल यूज्ड प्लास्टिक के दुष्प्रभाव के प्रति जागरूक किया जाएगा। अभियान चलाकर दुकानों पर छापेमारी की जाएगी। पकड़े जाने पर संबंधित व्यापारी को जुर्माना से दंडित किया जाएगा। अभियान के लिए जिला प्रशासन व पुलिस से सहयोग की अपील की गई है।
कैंसरजनित रोगों का कारक है पालिथिन : पालीथिन कैंसर जनित रोगों का कारक है। यह सिंथेटिक मोम को चिकना करके बनाया जाता है। इसके संपर्क में आने से पेट में विभिन्न प्रकार की बीमारियां फैलती हैं। इससे आंत, लीवर व गुर्दा भी खराब हो जाते हैं। इसे जलाने से सांस की बीमारी बढ़ती है। लोगों में अस्थमा पनपने का यह प्रमुख कारण है। इसलिए पालीथिन व डिस्पोजल का उपयोग नहीं करना चाहिए। विकल्प के रूप में कपड़े, जूट व पटसन के थैला का इस्तेमाल करना चाहिए।
-डा. देवेश चंद्र श्रीवास्तव, चिकित्सक