पॉलीथिन रोगों की खान, झोले में लाएं सामान
बलरामपुर: टीवी पर फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन की पॉलीथिन का उपयोग न करने की भावपूर्ण अपील भ
बलरामपुर: टीवी पर फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन की पॉलीथिन का उपयोग न करने की भावपूर्ण अपील भी लोगों को नागंवार गुजर रही है। लोग रोजमर्रा के वस्तुओं की खरीद-फरोख्त में पॉलीथिन का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे हैं। होटलों से चाय, समोसे, चाट, सब्जी, फल व मांस समेत विभिन्न खाद्य पदार्थ पॉलीथिन में पैक कर बेचे जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश व पॉलीथिन के दुष्प्रभाव की जानकारी होने के बाद भी लोग पॉलीथिन के साथ बीमारियां घर लाने से बाज नहीं आ रहे हैं। चिकित्सक पॉलीथिन को कैंसर सहित अन्य गंभीर रोगों का कारक बताते हैं। जबकि आमजन इसे दरकिनार कर जरा सी सहूलियत के लिए कपड़े व जूट के झोले की जगह पॉलीथिन को ही तरजीह दे रहे हैं। प्रशासन छापेमारी कर प्रतिष्ठानों से पॉलीथिन जब्त करने का दम तो भर रहा है लेकिन, गैर जनपदों व नेपाल सीमा से सटे नगर पंचायत पचपेड़वा व तुलसीपुर के बाजारों में पॉलीथिन की खेप आसानी से जिले के बाजारों में पहुंचाई जा रही है। जिस पर अंकुश लगाने में प्रशासन पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है।
मानव अंगों के लिए घातक है पॉलीथिन :
-चिकित्सक डॉ. देवेश चंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि पॉलीथीन को बनाने में कई विषाक्त रासायनिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है। जिसमें टायोलेट साल्ट, एनटीमोनी कडिमर, विनायल क्लोराइड, एथेन, फिनाल, यूरिया, फार्मलडिहाइड, बेंजिन, एसिटिलीन सहित अन्य केमिकल शामिल हैं। जिनका सीधा प्रभाव शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ता है। बताया कि 0.5 माइक्रोन के कण खाने के सामान के साथ शरीर में पहुंचते हैं। गर्म सामान जैसे चाय, समोसे, चाट आदि पॉलीथिन के केमिकल में मिलकर कैंसर, किडनी, लीवर, आंत की बीमारी, त्वचा रोग सहित दिमाग व हड्डियों की बीमारी फैलाते हैं। डॉ. आशीष ¨सह का कहना है कि पॉलीथिन का निर्माण ¨सथेटिक मोम को पिघलाकर किया जाता है। इसमें प्रयुक्त होने वाले केमिकल को 200 से 250 डिग्री तापमान पर गर्म कर पॉलीथिन बनाई जाती है। गर्म सामान के कण पॉलीथिन के केमिकल से मिलकर शरीर के भीतर विषाक्तता पहुंचाकर हमेशा के लिए रोगी बना देते हैं। साथ ही यह हार्मोंस पर भी विपरीत प्रभाव डालते हैं। जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और अन्य महामारियों को भी बढ़ावा मिलता है। रिसाइक्लिंग से बन सकती है बात : आमतौर पर लोग पॉलीथिन व प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग करने के बाद इसे कूड़े के ढेर में फेंक देते हैं। जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ ही मवेशियों के लिए जानलेवा साबित हैं। जबकि 50 माइक्रोन से मोटी पॉलीथिन व निष्प्रयोज्य प्लास्टिक की रिसाइक्लिंग से इस समस्या से काफी हद तक निजात पाया जा सकता है। हालांकि जिले में रिसाइक्लिंग के लिए फैक्ट्री तो नहीं है लेकिन, इसका उद्योग करने वाले कबाड़ स्टोर मौजूद हैं। नगर के सभी गली-मुहल्लों में कूड़े के ढेर से प्लास्टिक व मोटी पॉलीथिन बीनने वाले लोग अक्सर देखे जा सकते हैं। जो इसी उद्योग का एक हिस्सा हैं। साथ ही कबाड़ में प्लास्टिक खरीदने के लिए साइकिल व ठेलिया से चलने वाले कारोबारी इसकी कीमत अदा कर खरीदते हैं। पर्यावरणविद प्रोफेसर नागेंद्र ¨सह का कहना है कि प्लास्टिक की टूटी वस्तुओं व दूध, दही की पन्नी को रिसाइक्लिंग के जरिए पुन: उपयोग लायक बनाया जा सकता है। इसके लिए सभी को आगे आने की जरूरत है। पॉलीथिन व प्लास्टिक के टुकड़े इधर-उधर फेंकने के बजाय इसे एकत्र करने वालों को देकर पर्यावरण संरक्षण में अपनी भूमिका निभाई जा सकती है।
40 किलोग्राम पॉलीथिन जब्त करने का दावा: नगर क्षेत्र में पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रशासन ने छापेमारी की कार्रवाई शुरू कर दी है। अधिशासी अधिकारी राकेश कुमार जायसवाल ने नगर के प्रतिष्ठानों से 40 किलोग्राम पॉलीथिन जब्त करने का दावा किया है। उनका कहना है कि पॉलीथिन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के लिए प्रशासन की संयुक्त टीम के अतिरिक्त नगर पालिका कर्मियों की एक टीमें गठित की गईं हैं। अवर अभियंता सिविल भरत ¨सह वर्मा, जलकल अभियंता राजकुमार पुरी, राशिद सईद व राजस्व निरीक्षक हर्षित कुमार मिश्र की अगुवाई में टीम के सदस्य बाजारों में छापेमारी अभियान चलाएं। बताया कि मंगलवार की रात अपर जिलाधिकारी अरुण कुमार शुक्ल के नेतृत्व में अभियान चलाकर घासमंडी, नई बाजार, चौक, भगवतीगंज, वीर विनय चौराहा, अंबेडकर तिराहा, मेजर चौराहा व ठठेरी बाजार से 40 किलोग्राम पॉलीथिन जब्त किया गया है। साथ ही पुन: पकड़े जाने पर वैधानिक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। स्कूली बच्चों को दिलाया संकल्प
-नगर के डिवाइन पब्लिक स्कूल में बुधवार सुबह प्रार्थना सभा के दौरान बच्चों को पॉलीथिन के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया। प्रबंधक आशीष उपाध्याय ने बच्चों को पॉलीथिन का उपयोग न करने की शपथ दिलाई। कहाकि पॉलीथिन से कैंसर को बढ़ावा मिलता है। इसलिए पॉलीथिन की जगह कपड़े व जूट के झोले का उपयोग बेहतर व सुरक्षित है। बच्चों ने पॉलीथिन का उपयोग न करने व अभिभावकों को भी जागरूक करने का संकल्प लिया। सरोज उपाध्याय, सताक्षी श्रीवास्तव, सरिता शुक्ला, रूपम, जूली, वैशाली, आस्था, प्रीति, कृष्ण कुमार, दीपिका, शशि, दीक्षा मौजूद रहीं।
हम शपथ लेते हैं: पॉलीथिन का उपयोग बंद होने से बीमारियों पर काबू पाया जा सकेगा। सरकार का यह निर्णय सराहनीय है। मैं संकल्प लेता हूं कि पॉलीथिन का उपयोग नहीं करूंगा। खरीदारी के लिए कपड़े व जूट का झोला लेकर ही निकलूंगा। साथ ही स्कूल के छात्र-छात्राओं, अध्यापकों व अभिभावकों को भी इसके लिए प्रेरित कर सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का स्वागत करने व अभियान में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जागरूक करूंगा।
केपी यादव, प्रधानाचार्य
-पॉलीथिन का उपयोग बीमारियों को दावत देने के बराबर है। पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास तो पहले से चल रहा था। जिसे अब सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिल गई है। मैं शपथ लेता हूं कि अब पॉलीथिन का इस्तेमाल कभी नहीं करूंगा। मरीजों समेत रिश्तेदारों व आस-पड़ोस में रहने वालों को भी इसके दुष्प्रभाव के प्रति जागरूक करूंगा। ताकि लोग पॉलीथिन का उपयोग न कर बीमारियों से दूर रहें। साथ ही सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों को जागरूक करने का प्रयास करूंगा।
-डॉ. जाहिद, चिकित्सक