ठंड में जूता न ड्रेस, कांपते पैरों से लगा रहे ब्रेक
पवन मिश्र बलरामपुर रोडवेज के कमाऊ पूत कहे जाने वाले चालक व परिचालकों का दर्द हाकिमों को नहीं दिख रहा है। कड़ाके की ठंड में बिना स्वेटर व जूते के कांपते हुए स्टेयरिग थाम निगम का खजाना भर रहे हैं।
पवन मिश्र, बलरामपुर : रोडवेज के चालक व परिचालकों का दर्द हाकिमों को नहीं दिख रहा है। कड़ाके की ठंड में बिना स्वेटर व जूते के कांपते हुए स्टेयरिग थाम निगम का खजाना भरने का प्रयास कर रहे हैं। चार माह पहले जूते का नाप लिया गया, लेकिन अब तक नसीब नहीं हुआ। खास बात यह है कि अधिकांश उम्र दराज चालक हैं, जिनसे जरा सी चूक बड़े हादसे का सबब बन सकती है। इतना सब होने के बाद भी संवेदनहीन परिवहन निगम के अधिकारी अपनी लापरवाही छिपा रहे हैं।
हिम्मत दे देती है जवाब : रोडवेज डिपो में 45 स्थाई व 115 संविदा चालक हैं। इनमें से 25 चालक 50 वसंत देख चुके हैं जबकि दस चालकों की उम्र 55 से अधिक है। ढलती उम्र में आंखें कमजोर होने से बस चलाने में समस्या होती है। खासकर रात के समय जब सामने से आ रहे तीव्र गति के वाहनों की तेज रोशनी पड़ती है तो उनकी हिम्मत जवाब दे जाती है। ऐसे में वह कांपते पैरों से ब्रेक लगाकर सामने या पीछे से आ रहे वाहन के निकल जाने का इंतजार करते हैं।
बेदर्द है हाकिम तब किससे फरियाद : जिले में 160 चालक व 152 परिचालक हैं। जनवरी बीतने को है लेकिन अब तक इन्हें स्वेटर नसीब नहीं हो सका। चार माह से जूते का भी इंतजार है। परिवहन निगम के एक अधिकारी की मानें तो यही हाल प्रदेश के अन्य जिलों का भी है। जहां चालक-परिचालकों को स्वेटर व जूता देने की कवायद महज कागजों तक सिमट गई है।
जिम्मेदार के बोल : सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक विश्राम का कहना है कि स्वेटर व जूता विभाग से मिलने पर चालकों व परिचालकों को वितरित कर दिया जाएगा। शिविर लगाकर चालकों का नेत्र परीक्षण कराया गया है जिससे रोडवेज का सफर करने वाले सुरक्षित यात्रा कर सकें।