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हर सीएचसी पर होगा इंसेफेलाइटिस मरीजों का इलाज

संचारी रोगों को स्थानीय स्तर पर ही मिलेगा इलाज आने जाने में खर्चे व देखरेख की नहीं होगी दिक्कत।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 May 2022 09:42 PM (IST)Updated: Wed, 18 May 2022 09:42 PM (IST)
हर सीएचसी पर होगा इंसेफेलाइटिस मरीजों का इलाज
हर सीएचसी पर होगा इंसेफेलाइटिस मरीजों का इलाज

पवन मिश्र, बलरामपुर :

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संचारी रोगों पर लगाम लगाने के लिए अब स्वास्थ्य विभाग स्थानीय स्तर पर ही बेहतर इलाज की सुविधा देने की तैयारी कर रहा है। जिला संयुक्त चिकित्सालय के अलावा प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर (ईटीसी) खोला गया है। यहां मरीजों को भर्ती कर उनका तुरंत इलाज किया जा सकेगा जिससे बीमारी का प्रकोप कम हो।

संचारी रोगों से प्रभावित जिला होने के कारण यहां हर साल 10 से 12 मरीज निकलते हैं। पिछले साल दो डेंगू, दो जेई (जापानी इंसेफ्लाइटिस) 10 एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिड्रोम (एईएस), दो स्क्रबटाइफस के मरीज मिले थे। इनमें एक डेंगू मरीजों की मौत भी हो गई थी। इस त्रासदी को देखते हुए सरकार अब स्थानीय स्तर पर मरीजों को इलाज देने की तैयारी में जुट गई है। संयुक्त जिला अस्पताल में आठ बेड, बलरामपुर ग्रामीण में दो, श्रीदत्तगंज में चार, तलुसीपुर में दो,शिवपुरा में छह, पचपेड़वा में दो, गैंसड़ी में छह, गैंड़ास बुजुर्ग में तीन,रेहरा बाजार में चार,उतरौला में दो बेड पर मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा सकेगा। जिला मलेरिया अधिकारी राजेश पांडेय ने बताया कि क्षेत्र की आशा, आंगनबाड़ी, एएनएम समेत अन्य स्वास्थ्यकर्मी, इंसेफेलाइटिस पीड़ित मरीजों को इलाज के लिए इन्हीं ईटीसी सेंटरों पर ले जाएंगे। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. एके सिघल ने बताया कि अगर रेफर की स्थिति आती है तभी केंद्र के डाक्टर बड़े शहरों के बेहतर सुविधा वाले अस्पतालों के लिए रेफर करेंगे। इस तरह के मरीज व उनके तीमारदार 102 व 108 एंबुलेंस की सहायता भी ले सकेंगे। एईएस के मरीजों की जांच जरूरी:

सीएमओ डा. सुशील कुमार ने बताया कि एईएस मरीज की पांच जांचें अवश्य कराएं। जापानी इंसेफेलाइटिस, स्क्रबटाइफस, डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया जांच के लिए नमूने जिला स्तर पर स्थापित सेंटीनल लैब में भेजवाएं। बताया कि अगर बच्चे को झटका नहीं आ रहा है और सिर्फ बेहोशी की स्थिति है, तब भी एईएस हो सकता है। सात दिन के अंदर बुखार के साथ बेहोशी या झटके आने पर एईएस मरीज का लाइन आफ ट्रीटमेंट देना है।


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