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दवा की नहीं दुकान, आफत में मरीजों की जान

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By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 10:13 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 10:13 PM (IST)
दवा की नहीं दुकान, आफत में मरीजों की जान
दवा की नहीं दुकान, आफत में मरीजों की जान

बलरामपुर : संयुक्त जिला चिकित्सालय में भर्ती मरीजों की परेशानी रात में बढ़ जाती है। बाहर मेडिकल स्टोर बंद होने के बाद मरीज इमरजेंसी दवा के लिए भटकते हैं। दवा खरीदने के लिए उन्हें पांच किलोमीटर दूर जिला अस्पताल के सामने आना पड़ता है। जिससे तीमारदारी घंटों भटकते हैं। इस दौरान वार्ड में भर्ती मरीज दर्द से तड़पते रहते हैं।

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धमौली ज्वालापुरवा निवासी गंगाराम की 40 वर्षीया पत्नी लता तीन दिन से अस्पताल में भर्ती हैं। शनिवार की रात 12.30 बजे अचानक उनका मधुमेह (शुगर) व रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) बढ़ गया। उल्टी भी होने लगी। हालत बिगड़ती देख डॉक्टर ने गंगाराम को ट्रामाडोल व पेंटाप इंजेक्शन लिखी पर्ची पकड़ा दी। वह आधे घंटे तक एक-एक कर दुकान का शटर पीटता रहा, लेकिन कोई नहीं निकला। इसके बाद वह बनकटा गांव से दुकानदार को बुलाकर लाया। डेढ़ बजे उसे दवा मिली। निजामुद्दीन ने 65 वर्षीय पिता सिराजुद्दीन का ऑपरेशन अस्पताल में कराया है। बेटे ने बताया कि रात में दवा खरीदने के लिए पांच किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। सीएमओ डॉ. घनश्याम ¨सह का कहना है कि मेडिकल संचालकों से वार्ता कर रात में एक मेडिकल खुलवाया जाएगा।

क्या है नियम :

- मरीजों की सुविधा के लिए स्वास्थ्य महकमा मेडिकल संचालकों से वार्ता कर रात में खुलने वाली दुकान का निर्धारण करता है। इसकी सूची व मेडिकल संचालक का नंबर भी अस्पताल परिसर में चस्पा कर दिया जाता है।

बंद रहता है जन औषधि केंद्र :

- तीमारदार संतोष कुमार, लक्ष्मी, दीपा, संतोष कुमार, रिजवान व यासमीन ने बताया कि परिसर में संचालित जन औषधि केंद्र भी रात में बंद हो जाता है। दस बजे के बाद यहां कोई दवा नहीं मिलती है।


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