भूखे पेट रहने को मजबूर हैं बेसहारा बेजुबान
त्रिपुरारी शंकर तिवारी बलरामपुर सड़कों पर घूम रहे बेसहारा जानवरों के लिए पशु आश्रय स्थल तो बनवा दिए गए लेकिन उनकी भूख मिटाने के समुचित इंतजाम नहीं किए गए। नतीजा आश्रय स्थलों में रहने वाले 106
त्रिपुरारी शंकर तिवारी, बलरामपुर :
सड़कों पर घूम रहे बेसहारा जानवरों के लिए पशु आश्रय स्थल तो बनवा दिए गए, लेकिन उनकी भूख मिटाने के समुचित इंतजाम नहीं किए गए। नतीजा, आश्रय स्थलों में रहने वाले 1068 बेजुबान भूसा व हरा चारा की जगह पुआल से पेट भरने को मजबूर हैं। वर्ष 2018-19 में 45 पशु आश्रय स्थल बनाए जाने थे, जिसमें से 40 का संचालन हो रहा है। जबकि पांच पशु आश्रय स्थल निर्माणाधीन हैं। अफसरों ने पशु आश्रय स्थलों का निर्माण कराकर अपनी पीठ थपथपा ली, लेकिन वहां का हाल जानना मुनासिब नहीं समझा।
बदहाली से जूझ रहे पशु आश्रय स्थल : जिले में बेसहारा पशुओं को महफूज ठिकाना व उनको पर्याप्त चारा-पानी उपलब्ध कराने के लिए 40 पशु आश्रय स्थलों का निर्माण कराकर संचालन शुरू किया गया। इन पशु आश्रय स्थलों में 1068 पशुओं को रखा गया है। जो भूसा, हरा चारा व पानी को भी तरस रहे हैं। यहां भूसा रखने की जगह, हैंडपंप, तालाब की समुचित व्यवस्था नहीं है। यही नहीं, पशुओं की देखरेख के लिए किसी की तैनाती भी नहीं है। ऐसा तब है जब सरकार ने प्रति पशु 30 रुपये खर्च नियत कर रखा है। पशुओं के रखरखाव व चारा-पानी की जिम्मेदारी प्रधानों को सौंपी गई है, जो दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। ऐसे में प्रत्येक पशु आश्रय स्थल पर रहने वाले 30 से 35 जानवर भूखे पेट रहने को मजबूर हैं।
ये पशु आश्रय स्थल हैं निर्माणाधीन : वर्ष 2018-19 में चयनित पांच पशु आश्रय स्थलों का निर्माण अब तक पूरा नहीं हो सका है। सदर ब्लॉक स्थित बांसेडीला, सेखुइया, सिघवापुर व दुर्गापुर का पशु आश्रय स्थल अधूरा है। इसी तरह तुलसीपुर ब्लॉक के सुदर्शनजोत गांव में आश्रय स्थल निर्माणाधीन है। इनका निर्माण कब तक पूरा हो जाएगा, इसका जवाब जिम्मेदार अफसरों के पास नहीं है।
जिम्मेदार के बोल : डीसी मनरेगा महेंद्र देव का कहना है कि निर्माणाधी पशु आश्रय स्थलों का निर्माण शीघ्र पूरा हो जाएगा। पशु आश्रय स्थल पर चारा-पानी के व्यवस्था की जांच कराई जाएगी।