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चिकित्सक न दवाएं, मरीज कहां जाएं

बलरामपुर : सरकारी अस्पताल की दशा सुधारने के लिए प्रति वर्ष करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 11:58 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 11:58 PM (IST)
चिकित्सक न दवाएं, मरीज कहां जाएं

बलरामपुर : सरकारी अस्पताल की दशा सुधारने के लिए प्रति वर्ष करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बाद भी मरीजों को उसका लाभ नहीं मिल रहा है। जिम्मेदारों की उदासीनता से नवसृजित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बलदेवनगर में एक साल से चिकित्सक की कुर्सी खाली है। अस्पताल में जांच के संसाधन व जीवन रक्षक दवाओं का अभाव है। स्वास्थ्य सेवा के नाम पर मरीजों से सुविधा शुल्क लिया जाता है। ऐसे में इलाज के लिए यहां आने वाले मरीजों का दर्द और बढ़ जाता है लेकिन, अधिकारी इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं।

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²श्य एक : मंगलवार को पूर्वाह्न 11 बजे चीफ फार्मासिस्ट अब्दुलबारी में ओपीडी करते मिले। मरीज उन्हें चारों ओर से घेरे दिखे। मेज पर दवाएं बिखरी थी। पंखा बंद मिला। मरीज गर्मी से बेहाल दिखे। कई मरीज फर्श पर बैठे अपनी बारी आने का इंतजार करते मिले। प्रदीप कुमार ने बताया कि अस्पताल में दवाओं का अभाव है। अधिकांश दवाएं बाहर से खिली जाती है।

²श्य दो : 11.30 बजे। अस्पताल का जननी सुरक्षा वार्ड बंद मिला। दिनेश कुमार ने बताया कि वह गर्भवती पत्नी लक्ष्मी की एएनसी जांच कराने आए हैं लेकिन,यहां कोई नहीं है। रामजानकी ने बताया कि वह दस्त व सिरदर्द की दवा लेने आई हैं लेकिन उसे बाहर की दवा लिखी गई है। रोहित ने बताया कि बेटे चंद्र प्रकाश का इलाज करवाने आये हैं लेकिन, यहां डॉक्टर ही नहीं है। रक्षाराम ने बताया कि पत्नी सुमन को सुई लगाने के लिए कर्मचारी सुविधा शुल्क मांग रहे हैं।

²श्य तीन : अस्पताल परिसर में गंदगी का अंबार दिखा। झाड़ियां उगी हैं। हैंडपंप खराब है। पानी टंकी निष्प्रयोज्य है। फर्श पर लगी टाइल्स टूट चुकी है। शौचालय का ढक्कन उजड़ चुका है। बाउंड्रीवाल के अभाव में छुट्टा जानवर परिसर में टहलते रहते हैं। मेज पर बैठे कृष्ण मुरारी ने बताया कि हड्डी में दर्द के लिए कैल्शियम की दवा बाहर से मंगवाई गई है। रूबिना, महरूफ, मुकेश व कमला ने बताया कि अस्पताल में बिना सुविधा शुल्क लिए कोई काम नहीं होता है। सुई, प्रसव व गलूकोज लगाने के लिए भी कर्मचारी पैसा मांगते हैं।

जिम्मेदार के बोल

-प्रभारी सीएमओ डॉ. पीके ¨सह का कहना है कि चिकित्सकों की कमी के कारण कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर नहीं है। अस्पताल में चिकित्सीय सेवा के लिए सुविधा शुल्क मांगें जाने की जानकारी नहीं है। जांच कर ऐसे कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


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