दवाओं पर हावी मच्छरों के 'डंक'
बलरामपुर : मच्छरों को मारने के लिए सरकार प्रतिवर्ष लाखों रुपये पानी की तरह बहा रही है।
बलरामपुर : मच्छरों को मारने के लिए सरकार प्रतिवर्ष लाखों रुपये पानी की तरह बहा रही है। बावजूद इसके लोगों की नींद मच्छर उड़ा रहे हैं। कारण मच्छरों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है। इन पर किसी भी दवाओं का असर नहीं हो रहा है। जिससे स्वास्थ्य महकमा व प्रशासनिक अधिकारी ¨चतित नजर आ रहे हैं। मच्छरों को मारने का नया उपाय नहीं सोचा गया तो डेंगू व मलेरिया पर अंकुश लगाना नामुमकिन होगा
जिले में करीब 21 लाख लोग आबाद हैं। तीन चीनी मिलें भी हैं। चीनी मिलों से निकलने वाली गंदगी से मच्छरों की पैदावार बढ़ती जा रही है। विगत वर्ष दस से अधिक लोग डेंगू की चपेट में आ गए थे। यही नहीं करीब 50 से 50 लोग मलेरिया का शिकार हुए थे। इस वर्ष करीब पांच लोग मलेरिया की चपेट में आ चुके हैं। हालांकि नगर पालिका प्रशासन ने मच्छरों को मारने के लिए मैलाथियान व ¨सथेटिक पायरेथ्राइड का धुआं एवं जलजमाव वाले स्थानों पर छिड़काव कर चुका है। बावजूद इसके मच्छरों की संख्या में कमी नहीं आई। चिकित्सकों की मानें तो मच्छरों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी है। दवाओं के प्रचलन से मच्छर इसके आदी हो गए हैं। इन पर अंकुश लगाने के लिए साफ-सफाई के साथ प्राकृतिक साधनों का इस्तेमाल करना होगा। नीम की पत्तियों को सुखाकर उसका धुआं मच्छरों को भगाने में कारगर है। अधिवक्ता हेम सोनी का कहना है कि मच्छरों को मारने के लिए बाजार में बिक रही मशीन, मच्छर अगरबत्ती व दवाएं उन पर बेअसर हैं। मच्छरों की पैदावार बढ़ने से उनका प्रकोप दिन में जारी रहता है। डॉ. एके पांडेय का कहना है कि दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है। अब तक दो मरीज मलेरिया से ग्रसित मिले हैं। लोगों को साफ-सफाई रखने की सलाह दी गई है।
ऐसे करें बचाव-नीम की पत्तियों को सुखाकर धुआं करने से मच्छरों पर काबू पाया जा सकता है। मच्छरदानी का प्रयोग सबसे मुफीद है। खुले में रखा पानी व खाद्य सामग्री का उपयोग कतई न करें। टायर, कूलर व गड्ढों में पानी एकत्र न होने दें। सफाई अपनाकर मच्छरों की पैदावार को बढ़ने से रोका जा सकता है।