इमाम के बताए हुए रास्तों पर करें अमल
सादुल्लाहनगर (बलरामपुर) : मुहर्रम का इस्लाम में विशेष महत्व है। अल जामेअतुल हशमतिया मुशाहि
सादुल्लाहनगर (बलरामपुर) : मुहर्रम का इस्लाम में विशेष महत्व है। अल जामेअतुल हशमतिया मुशाहिद नगर माहिम के अलहाज कारी शरफुद्दीन खान हशमति ने बताया कि इस्लामी नया साल कुर्बानी से शुरू होता है और कुर्बानी पर ही खत्म हो जाता है। आपसी मतभेद, खुदा की नाफरमानी उस के पैगंबर और उन पर नाजिल होनी वाली किताब से दूरी है। उन्होंने कहा कि मुहर्रम शरीफ की दसवीं तारीख को यौमे आशूरा कहा जाता है। दस मुहर्रम शरीफ की तारीख बहुत बरकत व मुसलमानों के लिए सवाब कमाने का जरिया है। हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम उसी दिन पैदा हुए और उन्हें खलीलुलाह का लकब भी उसी दिन अता हुआ। हममें इमामे हुसैन जैसा वह जज्बा न रहा। उन्होंने तलवारों के साये में नमाज अदा की। हम आज नमाज से कोसों दूर है। आज भी कुछ ऐसे बद अखलाक और दुनिया परस्त कौम के रहेबर है, जो इमाम के नाना जान की हुरमत व नामूस पर हमले होते देख रहे हैं। उन की जुबान बंद है। ऐसे ही रहबरों की वजह से मुसलमान जुल्मो तशदुद के शिकार हैं। अगर हमें उस से बचना है तो आइए हम सब अहद करें की इस मुहर्रमुल हराम में इमाम के बताऐ हुऐ फरामीन पर अमल करेंगें। इमाम के नाम पर मजलिसें करेंगे। गरीबों और मुहताजों की मदद करें।