कुत्ते का शिकार करने के बजाय गांव में आ धमका तेंदुआ
बलरामपुर : तेंदुए के दहशत से भयभीत ग्रामीणों ने प्राथमिक विद्यालय झौव्वा में एक सप्ताह से बच्चों को
बलरामपुर : तेंदुए के दहशत से भयभीत ग्रामीणों ने प्राथमिक विद्यालय झौव्वा में एक सप्ताह से बच्चों को पढ़ने के लिए भेजना बंद कर दिया है। शुक्रवार को दिनभर शिक्षक विद्यालय खोलकर बैठे रहे, लेकिन कोई भी छात्र विद्यालय नहीं आया। सुरक्षा के दृष्टिकोण से वनरक्षक संत बक्श सिंह व नानबाबू विद्यालय में इस दौरान शिक्षकों के साथ मौजूद रहे।
तुलसीपुर यूनिट रेंज के वन रक्षक संत बक्श सिंह के अनुसार 16वें दिन भी तेंदुआ का खौफ ग्रामीणों में बना हुआ है। प्राथमिक विद्यालय झौव्वा में पंजीकृत 101 बच्चों के सापेक्ष एक भी छात्र शुक्रवार को भी पढ़ने नहीं आया। शिक्षक मदन चंद्र यादव, तिलकराम विद्यालय में मौजूद रहे लेकिन अभिभावकों ने अपने बच्चों को विद्यालय नहीं भेजा। वन रक्षक ने बताया कि गुरुवार को तेंदुआ पकड़ने के लिए पिंजड़ा जहां लगाया गया है वहां से कुछ दूर पर बांधे गए कुत्ते के पास तेंदुआ नहीं गया। हालांकि रात में तेंदुआ ठाकुरडीह के विजयपाल सिंह व अनूपपाल सिंह के दरवाजे पर पहुंच गया। शाम सात बजे ही तेंदुआ के पहुंच जाने से ठाकुरडीह के लोगों में दहशत फैल गई। हालांकि शोर मचाने पर तेंदुआ गांव से बाहर निकल गया। दहशतजदा ग्रामीण मोबाइल से सूचना का आदान-प्रदान करते रहे।
-जंगलनुमा बाग में स्थित है प्राथमिक विद्यालय झौव्वा
प्राथमिक विद्यालय झौव्वा घने जंगलनुमा बाग में स्थित है। यहां दिन में भी जाने में दहशत लगता है। इसमें भी तेंदुए के दहशत के बीच कोई भी अपने बच्चे को स्कूल भेजने का साहस फिलहाल ऐसे परिवेश में नहीं कर पा रहा है। शिक्षकों की मानें तो इस विद्यालय में पंजीकृत 101 छात्र छात्राएं रतनपुर व झौव्वा गांव से पहले आते थे, लेकिन एक सप्ताह से उपस्थिति शून्य है।
-तेंदुआ के लिए बांधा गया एक और कुत्ता
तेंदुआ के आहार के लिए एक अन्य कुत्ता को भी बांधा गया है, लेकिन वनरक्षक संत बक्श सिंह के अनुसार मौके पर मिले पगचिह्न के आधार पर तेंदुआ 16 वर्ष के आसपास का लगता है। काफी अनुभवी होने के कारण हर आहट को पहचान जाता है। इसलिए पिंजड़ा तक ले जाना आसान काम नहीं लग रहा है।