हुई रिहाई, तो बेटे की बजवाऊंगी शहनाई
बलरामपुर : छह साल बीत गए, लेकिन पैसे न होने के कारण जेल में बंद बेटे से मुलाकात करने न
बलरामपुर : छह साल बीत गए, लेकिन पैसे न होने के कारण जेल में बंद बेटे से मुलाकात करने नहीं जा सकी। अगर मेरा बेटा रिहा हो गया तो उसकी शादी कराकर गृहस्थी की जिम्मेदारी में फंसा दूंगी। ताकि वह पुरानी बातों को भूलकर अपना घर बसा सके। यह कहते-कहते बुलबुल की आंखें छलक गईं और वह फफक कर रो पड़ी।
पचपेड़वा थाना क्षेत्र के गुरचिहवा गांव निवासिनी बुलबुल का बड़ा बेटा शमशुल हक छह साल चार माह से जिला कारागार में निरुद्ध है। उसके पति अब्दुल हक की मौत हो चुकी है। वह छोटे बेटे वजहुल कमर के साथ फूस की झोपड़ी में रहती हैं। वजहुल कबाड़ बीनकर परिवार का गुजर-बसर कर रहा है। शमशुल के रिहाई के लिए हुए प्रस्ताव से मां व भाई के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है। इसी थाना क्षेत्र के विशुनपुर टनटनवा गांव निवासी भजनलाल का मझला बेटा बजरंगी आर्म्स एक्ट में जिला कारागार में निरुद्ध है। बड़ा बेटा बब्लू नेपाल के तुलसियापुर में होटल चलाता है। जबकि छोटा बेटा गोलू राजस्थान में प्राइवेट कंपनी में काम करता है। बजरंगी की मां रामजानकी बताती हैं कि मेरे बेटे को पुलिस ने फर्जी फंसाकर जेल भेज दिया है। बताया कि वह चाट का ठेला लगाती है। दिन-रात मेहनत कर बेटे की रिहाई के लिए वकील का खर्चा उठाती है। कहाकि छह साल से बेटा जेल में है। शासन ने रिहा कर दिया तो बेटे को नेपाल में कारोबार कराऊंगी। यहां नहीं रखूंगी ताकि उस पर अतीत की परछाई न पड़ने पाए। इसी तरह रेहराबाजार थाना क्षेत्र के उल्लहिया गांव निवासी वंशी भी आठ साल तीन माह से जेल में सजा काट रहा है। उसके पिता ज्वाला प्रसाद की 2013 में मौत हो चुकी है। छोटा भाई कैलाश वर्मा अविवाहित है। 60 वर्षीया मां मालती देवी ने बताया कि आखिरी बार रक्षाबंधन के दिन वंशी से मुलाकात करने गई थी। कहाकि सरकार मेरे बेटे को रिहा कर देगी तो अब उसे कहीं जाने नहीं दूंगी। इस तरह जेल में बंद तीनों बंदियों के रिहाई के लिए शासन को भेजे गए प्रस्ताव से परिजनों में खुशी का माहौल है। सब कुछ ठीक रहा तो दो अक्टूबर से ये तीनों खुली हवा में सांस ले सकेंगे।