दीये की रोशनी से जगमगाएगा इंडो-नेपाल बॉर्डर
देश की सीमा पर दिन-रात सुरक्षा के कर्णधार बने एसएसबी जवान दीपावली का पर्व अनोखी तरह से मनाते हैं। घर-परिवार से दूर रहकर नन्हे-मुन्ने बच्चों व ग्रामीणों के साथ त्योहार की खुशियां बांटने के साथ रात भर सीमा की सुरक्षा में मुस्तैद रहते हैं।
बलरामपुर :
देश की सीमा पर दिन-रात सुरक्षा के कर्णधार बने एसएसबी जवान दीपावली का पर्व अनोखी तरह से मनाते हैं। घर-परिवार से दूर रहकर नन्हे-मुन्ने बच्चों व ग्रामीणों के साथ त्योहार की खुशियां बांटने के साथ रात भर सीमा की सुरक्षा में मुस्तैद रहते हैं। ताकि दोनों देशों के लोग अमन-चैन की नींद सो सकें। भारत-नेपाल की 93 किलोमीटर खुली सीमा की रखवाली के लिए एसएसबी की 13 चौकियां स्थापित हैं। जहां पर तैनात जवानों को हर साल दीपावली का बेसब्री से इंतजार रहता है। दीपकों की रोशनी से जगमगाते इंडो-नेपाल बॉर्डर की मनोरम छटा देखते ही बनती है। -सीमा पर तैनात एसएसबी के जवान सुरक्षा के साथ ही बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने में भी अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। इसके लिए एसएसबी ने सीमावर्ती क्षेत्र के छह प्राथमिक स्कूलों को गोद ले रखा है। इसमें नंदमहरा, बालू, बघेलखंड, टमकुल, भुसहर व तरवा गांव के प्राथमिक स्कूल शामिल हैं। प्रतिवर्ष एसएसबी के जवान इन स्कूलों में जाकर नन्हे-मुन्ने बच्चों के साथ दीपावली की धूम मचाते हैं। बच्चों के बीच खेलकूद प्रतियोगिता कराकर उन्हें मिठाई बांटते हैं। यही नहीं, उनके साथ रंग-बिरंगी फुलझड़ियां जलाकर त्योहार की खुशियां मनाते हैं।
सीमा की रखवाली में मुस्तैद एसएसबी जवान दीपावली के त्योहार पर इंडो-नेपाल बार्डर की खुली सीमा पर अंधियारे के खिलाफ जंग लड़ने को तैयार हैं। दीपावली के दिन देश की सीमा 11 हजार दीपकों की झिलमिल रोशनी से जगमाएगी। इसे लेकर सभी 13 चौकियों पर तैनात जवान उत्साह से लबरेज हैं।
एसएसबी नौवीं वाहिनी के कार्यवाहक कमांडेंट मुकेश कुमार गुर्जर ने बताया कि भले ही एसएसबी जवान अपने घर-परिवार से दूर रहते हों, लेकिन उनके लिए पूरा देश ही परिवार की तरह है। सीमा पर बसे बसे गांवों के नन्हे-मुन्ने बच्चों के साथ दीवाली की खुशियां धूमधाम से मनाई जाती हैं। इस बार भी दीपावली को लेकर तैयारियां की गईं हैं।