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माननीयों की बेरुखी से रुका उद्योग धंधों का विकास

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By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 11:15 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 11:15 PM (IST)
माननीयों की बेरुखी से रुका उद्योग धंधों का विकास
माननीयों की बेरुखी से रुका उद्योग धंधों का विकास

लोकसभा श्रावस्ती क्षेत्र के बलरामपुर व श्रावस्ती जिले पर लगे पिछड़ेपन का कलंक दूर नहीं हो पा रहा है। दोनों जिलों को बने 22 साल हो चुके हैं। इसके बाद भी औद्योगिक क्षेत्र का विकास नहीं हो सका। 40 राइस मिलर्स में सिर्फ पांच का संचालन हो पा रहा है। सरसों तेल मिल भी बंदी की कगार पर पहुंच चुकी है। आयात-निर्यात के साधनों की कमी से व्यापारी जूझ रहे हैं। ट्रकों का संचालन किया जा रहा है, जो नाकाफी है। व्यापारियों को महंगा साबित हो रहा है। उद्योग धंधों को बढ़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं हुआ। जटिल नियमों के कारण इंस्पेक्टर राज हावी हो गया है।

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कई प्रदेशों में मंडी शुल्क नहीं लिया जाता है, लेकिन यहां मंडी शुल्क वसूल किया जा रहा है। जिससे कारोबारियों का उद्योग धंधों से मोहभंग हो रहा है। औद्योगिक क्षेत्र में 24 घंटे बिजली नहीं मिल पा रही है। सड़कें खराब हैं। दूषित पेयजल पीना पड़ रहा है। जलनिकासी के लिए भी कोई इंतजाम नहीं है। प्रबुद्ध वर्ग में सियासी दलों के प्रति असंतोष नजर आता है। वक्ताओं ने किसी दल के एजेंडे में अब तक उद्योग धंधों का मुद्दा न होने पर आश्चर्य जताया। जागरण की ओर से जिले के धर्मपुर औद्योगिक क्षेत्र में उद्योग धंधों के मुद्दे पर लगाई गई चौपाल में देखने को मिला। जागरण चौपाल में उठाए गए बिदुओं पर प्रस्तुत है रमन मिश्र की रिपोर्ट.. सुशील गोयल का कहना है कि नानाजी देशमुख ने बलरामपुर में औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की थी। उसके बाद इस क्षेत्र का विकास नहीं हुआ। सरकारी कानून की वजह से व्यापारी साल दो साल में पलायन करने को मजबूर हो जाएगा। जयदेव प्रसाद सिधी का कहना है कि सरकार की इतनी पाबंदी हो गई है। जिससे तेल मिल बंद हो चुकी है। सिर्फ एक तेल मिल चल रही है। यदि समस्या का निस्तारण नहीं हुआ तो तेल मिल बंद हो जाएगी। पवन अग्रवाल का कहना है कि चावल मिलें बंद हो चुकी हैं। अब सिर्फ पांच चावल मिलें संचालित हो रही है। पहले 40 मिलें संचालित हो रही थी। सड़क की हालत बहुत खराब है। बिजली भी 24 घंटे नहीं मिल पा रही है।

महेंद्र केसरवानी का कहना है कि देश के अन्य प्रदेशों में मंडी शुल्क नहीं लिया जा रहा है। जबकि यहां मंडी शुल्क वसूल किया जा रहा है। सुविधाएं भी नहीं दी जा रही है। सत्यनरायन का कहना है कि वन ड्रिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट सरकारी उदासीनता के चलते ठंडे बस्ते में चला गया। जनप्रतिनिधि भी कारोबारियों की समस्या के निस्तारण के लिए कोई प्रयास नहीं करते हैं। महेंद्र सोनी का कहना है कि 22 साल जिला बने हो चुका है, लेकिन क्षेत्र पर लगे पिछड़ेपन का दाग नहीं मिट पा रहा है। किसी भी जिले के विकास में उद्योग धंधों का विशेष स्थान होता है। इनके विकास से ही बेरोजगारी दूर होगी। सरकार की नीतियां ऐसी हों, जिससे उद्योग धंधे फले-फूलें।

अमित प्रीतम सिधी का कहना है कि 24 घंटे बिजली नहीं मिल रही है। जिससे उद्योग धंधे चौपट हो रहे हैं। सुशील गोयल का कहना है कि औद्योगिक क्षेत्र में सड़कों की हालत खस्ता है। बारिश में पानी मिलों के अंदर भर जाता है। जलनिकासी की व्यवस्था ठीक नहीं है। अधिकारी उदासीन हैं। सुरेंद्र शर्मा कहना है कि राष्ट्र के विकास के लिए उद्योग व कृषि रीढ़ हैं। औद्योगिक क्षेत्र में उद्योग धंधों को विकसित करने के लिए विशेष पहल करने की जरूरत है। अनिल केसरवानी का कहना है कि नाली न होने से जलनिकासी की व्यवस्था नहीं है। औद्योगिक क्षेत्र का दर्जा तो मिला है, लेकिन सुविधाओं की तरफ जनप्रतिनिधियों ने अपने एजेंडे में इसे शामिल नहीं किया। गंगा शर्मा का कहना है कि वन ड्रिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत मसूर दाल को चुना गया है, लेकिन मसूर की खेती को बढ़ावा देने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। जिससे यह योजना सफल होती नहीं दिख रही है। संजय कुमार अग्रवाल का कहना है कि उद्योग धंधों को विकसित करने के लिए किसी दल ने आवाज नहीं उठाई। फूड लाइसेंस देने में भी अधिकारी उदासीनता बरतते हैं। 100 रुपये प्रतिदिन लेट फीस वसूली जा रही है। लेट फीस खत्म की जाए। जनकलाल शर्मा का कहना है कि सफाई व्यवस्था बहुत खराब है। असुविधाएं बहुत हैं। जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। मुद्दा क्यों :

-जिला बने 22 साल हो चुके हैं। नानाजी देशमुख ने औद्योगिक क्षेत्र की नींव रखी थी। इसके बाद उद्योग धंधों को बढ़ावा देने के लिए किसी दल ने कदम नहीं उठाया। बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से व्यापारी वंचित हैं। दलों की अनदेखी के चलते तेल व राइस की मिलें बंद हो चुकी है। जिससे व्यापारियों को दूसरे प्रदेशों का रुख करना पड़ा।


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